लखनऊ। भड़काऊ भाषण मामले में 3 साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई। वरिष्ठ सपा नेता खान ने हाल ही में संपन्न 2022 विधानसभा चुनावों में 10वीं बार रामपुर सीट से जीत हासिल की थी। विधायक चुने जाने पर खान ने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा, अदालत द्वारा पारित फैसले के कारण अयोग्यता के परिणामस्वरूप उप्र विधानसभा सचिवालय द्वारा सीट रिक्त की घोषणा की गई है।
यह पूछे जाने पर कि क्या आजम खान को अयोग्य घोषित किया गया है, दुबे ने कहा, हम (एक मौजूदा सदस्य) अयोग्य घोषित नहीं करते हैं, हम केवल (संबंधित सीट की) रिक्ति की घोषणा करते हैं। अयोग्यता अदालत के आदेश से पहले ही हो चुकी है।
वरिष्ठ सपा नेता खान ने हाल ही में संपन्न 2022 विधानसभा चुनावों में 10वीं बार रामपुर सीट से जीत हासिल की थी। विधायक चुने जाने पर खान ने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इस साल जून में, भाजपा के घनश्याम लोधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को उपचुनाव में 42000 से अधिक मतों से हराकर समाजवादी पार्टी से रामपुर संसदीय सीट छीन ली थी।
लोधी ने पार्टी नेता आजम खान के करीबी माने जाने वाले सपा उम्मीदवार मोहम्मद असीम राजा को हराया था, जो 2019 में निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद आजम खान के इस्तीफे के कारण उपचुनाव हुआ था ।
शुक्रवार को इस बीच, उप्र के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, मोहम्मद आज़म खान की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के माननीय अध्यक्ष विधानसभा सतीश महाना के फ़ैसले का स्वागत है। रिक्त विधानसभा के उपचुनाव जब भी होंगे, भाजपा का कमल खिलेगा!
उत्तर प्रदेश में रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने सपा नेता एवं विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में गुरुवार को दोषी करार देते हुए तीन साल कैद और छह हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कहता है कि दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को ऐसी सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और जेल में समय बिताने के बाद छह साल के लिए अयोग्यता बरकरार रहेगी।
आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहने पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। खान के इस बयान का वीडियो भी वायरल हुआ था।
भड़काऊ भाषण देने के मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खान को भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153-क (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505-क (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए गुरुवार को उन्हें तीन साल कैद और छह हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इससे पहले, शुक्रवार दिन में रामपुर के एक भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश विधानसभा से समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया था।
गौरतलब है कि आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम को 2020 में सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पहले फैसला सुनाया था कि अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे क्योंकि उनकी उस समय उम्र 25 वर्ष से कम थी, जब उन्होंने 2017 में सुआर निर्वाचन क्षेत्र से सपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour