बहाई धर्म विश्व एकता और विश्व शांति के लिए अपने उद्देश्यों और शिक्षा के लिए जाना जाता है। हाल ही में बहाई धर्म के संस्थापक महात्मा बाब और बहाउल्लाह युगल अवतारों के २०० वे जन्मवर्ष का कार्यक्रम पूरे विश्व में मनाया गया।
कलयुग की समाप्ति और सतयुग का प्रारम्भ करने के उद्देश्य से महात्मा बाब व बहाउल्लाह का अवतार हुआ।
उनका जन्म 9 नवम्बर को हुआ। बहाई धर्म के संस्थापक बाब व बहाउल्लाह को कृष्ण के कल्कि अवतार माना जाता है।
इस अवसर पर जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट पर हुए इस कार्यक्रम में बहाई युवाओं ने सुमधुर प्रार्थनाएं गाई और फिर दोनों अवतारों के आगमन की खुशी में सभी लोगों के साथ इस त्योहार को मनाया गया। इस अवसर पर जनक दीदी ने बहाई धर्म का परिचय, बहाउल्लाह और बाब के आगमन का उद्देश्य, इतिहास और गीता, कुरान, बाइबिल में कही गई भविष्यवाणी का उल्लेख किया।
उन्होंने बताया की किस तरह इन अवतारों ने मानव जाति के लिए अपने जीवन में संघर्ष, विद्रोह और अत्याचार सहा और फिर भी उनका दिव्य ज्ञान आज सम्पूर्ण पृथ्वी पर जगमगा रहा है। स्त्री पुरुष की समानता, धर्म और विज्ञान का समन्वय, विश्व एकता, विश्व शांति और सभी के लिए शिक्षा की बात इन अवतारों ने 1844 में ही कर दी थी, और आज हम इसे परिणित होते देख रहे हैं।
बहाई धर्म मानने वाले हर देश में है और बहाई अपने जनसेवा कार्यों के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं।
बहाई युवाओं, देवल, सीमा, नसरीन, सुनील, रवीना और समीर शर्मा व वरुण रहेजा नीलिमा गुप्ता गुरबाक्स सिंह कायरा सुरेका ने इस अवसर पर मधुर प्रार्थनाएं गाईं।
अंत में सभी ने अल्पाहार लिया और विश्वशांति, पर्यावरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखलाई। कार्यक्रम में प्रो जयश्री सिक्का, कीर्ति सिक्का गोविंद माहेश्वरी व निक्की सुरेका, पर्यावरण प्रेमी राजेन्द्र सिंह व स्थानीय नंदा चौहान व अन्य युवा अपने परिवारजनों सहित शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन समीर शर्मा ने किया।