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9 करोड़ की कॉर्पोरेट उगाही में इंडस टॉवर्स लिमिटेड के 6 अधिकारियों की जमानत अर्जी खारिज

हमें फॉलो करें 9 करोड़ की कॉर्पोरेट उगाही में इंडस टॉवर्स लिमिटेड के 6 अधिकारियों की जमानत अर्जी खारिज
, शुक्रवार, 13 अगस्त 2021 (17:08 IST)
महाराष्ट्र के पुणे में एक कोर्ट केस ने टेलीकॉम सेक्टर को हिला कर रख दिया है। 5 अगस्त 2021 को पुणे कोर्ट ने टेलीकॉम सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक कंपनी, ‘इंडस टॉवर्स लिमिटिड’ के 6 अधिकारियों की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज करते हुए उन्हें जेल का रास्ता दिखा दिया है। वहीं 20 मई 2021 को इंडस टॉवर्स के महाराष्ट्र के तत्कालीन सीईओ बालाजी रमण की बेल पहले ही रिजेक्ट हो गई थी।
 
दरअसल पूरा मामला कॉर्पोरेट उगाही,फिरौती और भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। इंडस टॉवर्स देश भर में ‘मोबाइल पैसिव सर्विसिज़’ पहुँचाने वाली दुनिया की नंबर- 2 और भारत की नंबर- 1 कंपनी है। इस कंपनी के महाराष्ट्र के वेंडर ‘ह्रषिकेश कुलकर्णी’ ने कंपनी के 11 उच्च अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफ़आइआर दर्ज करवाई थी, जिसके बाद अब तक 11 में से 7 अधिकारियों की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है।
 
शिकायतकर्ता ह्रषिकेश कुलकर्णी का आरोप है कि कंपनी के आला अधिकारियों ने दबाव बनाकर साल 2017 से अक्टूबर 2019 तक फरियादी से हर महीने 10 साख रुपए की फिरौती वसूल की। शिकायतकर्ता का आरोप है कि ‘इंडस टॉवर्स के अधिकारी उन्हें काम छीनकर बर्बाद करने और आत्महत्या करने पर मजबूर करने की धमकी देकर उनसे फिरौती वसूल करते रहे’। 
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अक्टूबर 2019 में कंपनी के महाराष्ट्र के तत्कालीन सीईओ आरोपी बालाजी रमण ने फिरौती की रक़म 10 लाख से बढ़ाकर 15 लाख कर दी। शिकायतकर्ता की माने तो बालाजी रमण ने फिरौती की रक़म बढ़ाने के पीछे दिल्ली में बैठे कुछ बड़े अधिकारियों की बड़ी हुई माँग का हवाला दिया। शिकायतकर्ता ने भ्रष्ट अधिकारियों की बढ़ी हुई माँग को नकार दिया। जिसके बाद इंडस टॉवर्स के कई अधिकारियों ने शिकायतकर्ता के लिए मुश्किलें खड़ी करना शुरू कर दिया। 
 
शिकायतकर्ता ने कंपनी के कॉरपोरेट लोकपाल (ऑमबुड्समेन) से इस पूरे मामले की शिकायत की, जिसके चलते आरोपी बालाजी रमण को कंपनी से निकाल दिया गया। लेकिन शिकायतकर्ता से उगाही और उनकी मानसिक प्रताड़ना लगातार जारी रही। इंडस के बाक़ी अधिकारियों ने साज़िश के तहत शिकायतकर्ता पर दबाव बनाकर 9 करोड़ रुपए के बकाये को 2 करोड़ रुपए में सैटल करने के एग्रीमेंट पर साइन करवाया। इसके लिए अधिकारियों ने बाउंसरों का भी सहारा लिया। धोखे से साइन करवाने के बाद इंडस टॉवर ने ‘शिकायतकर्ता ह्रषिकेश कुलकर्णी’ का कॉन्ट्रैक्ट ही रद्द कर दिया। 
 
‘शिकायतकर्ता ह्रषिकेश कुलकर्णी‘ ने कंपनी के इस तुग़लक़ी रवैये से परेशान होकर आख़िरकार ‘इंडस टॉवर्स लिमिटिड’ के 11 अधिकारियों के ख़िलाफ़ पुणे में एफ़आइआर दर्ज करवाई। इनमें से इंडस टॉवर्स के पूर्वी महाराष्ट्र के ऑपरेशन हेड सुनील मानकर और क्लस्टर मैनेजर रामेश्वर भोंसले के ख़िलाफ़ एक अन्य मामले में महाराष्ट्र के परभणी ज़िले में एक और एफ़आइआर दर्ज है, जो कि इंडस टॉवर्स के महारुद्र वटंबे नाम के टैक्नीशियन के द्वारा आत्महत्या करने की कोशिश के मामले की है।
 
शिकायतकर्ता की एफ़आइआर के बाद पुणे सत्र न्यायालय ने शिकायतकर्ता के आरोपों को सही मानते हुए पहले बालाजी रमण और फिर महाराष्ट्र के पूर्व सीईओ राजेश बंसल, महाराष्ट्र के सीओओ तनवीर सिंह सरेहा, इंडस के सप्लाई चैन मैनेजमेंट के वाइस प्रेसिडेंट संदीप गौबा, पूर्वी महाराष्ट्र के ऑपरेशन हेड सुनील मानकर, महाराष्ट्र के वर्तमान सीईओ दिनेश अरोड़ा और महाराष्ट्र के सप्लाई चेन मैनेजमेंट हेड अजेय अरोड़ा की बेल की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। 
 
आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 384, धारा 386, धारा 387 (ज़बरदस्ती वसूली), धारा 403 (बेईमानी से किसी चल संपत्ति का ग़बन), धारा 406 (विश्वास का आपराधिक हनन), धारा 415 और धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 447 (आपराधिक अतिचार) के समेत धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
 
शिकायतकर्ता ने भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाली कंपनी, ‘इंडस टॉवर्स’ पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। और कंपनी के 7 आला अधिकारियों कि ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज होना इन आरोपों को और भी गंभीर बनाता है। हालाँकि इंडस टॉवर्स इन सभी आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर रहा है और हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने कि तैयारी कर रहा है।

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