मुंबई। महाराष्ट्र में शराबबंदी की सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे की मांग के बाद महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि इस मामले में वह तमिलनाडु के रास्ते पर चलते हुए देसी शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा सकती है।
महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि शराब की बिक्री से 13,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है और सरकार राज्य के किसी भी हिस्से में इसे प्रतिबंधित करने पर विचार नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि किसी जिला विशेष से शराबबंदी की मांग उठती है तो हम उस पर विचार करेंगे लेकिन फिलहाल पूर्ण प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है।
मुनगंटीवार ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले आबकारी राजस्व, चीनी उद्योग का अर्थशास्त्र, शराब के सेवन के कारण पेश आने वाले सेहत संबंधी मुद्दे और गैर सरकारी संगठनों तथा हजारे जैसे कार्यकर्ताओं की ओर से दबाव जैसे कई पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शराब की बिक्री से हर साल हमें लगभग 13,000 करोड़ र. का राजस्व मिलता है। अधिकारियों का सुझाव है कि यदि हम तमिलनाडु की तर्ज पर देसी शराब पर प्रतिबंध लगाते हैं तो इससे राजस्व में इजाफा हो सकता है।
तमिलनाडु ने देसी शराब पर रोक लगा दी है और इसकी जगह राज्य में विदेशी ब्रांड की सस्ती शराब उपलब्ध करवाई जा रही है। मंत्री ने बताया कि शराब की सभी दुकानें सरकारी हैं और इनसे कुल 23,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है।
हजारे ने हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर महाराष्ट्र में शराबबंदी की मांग करते हुए उन्हें पत्र दिया था। उन्होंने अहमदनगर के कोपार्डी में नाबालिग लड़की के साथ हुए बर्बर बलात्कार का कारण शराब बताया था। (भाषा)