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BHU विवाद में अब हिंदू धर्मगुरु भी कूदे, प्रोफेसर को भी मिला साथ

हमें फॉलो करें BHU विवाद में अब हिंदू धर्मगुरु भी कूदे, प्रोफेसर को भी मिला साथ
, गुरुवार, 21 नवंबर 2019 (19:59 IST)
वाराणसी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। एक ओर जहां प्रोफेसर फिरोज खान के समर्थन में गुरुवार को विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के छात्र आ गए तो दूसरी ओर विरोध में धरना दे रहे छात्रों के समर्थन में अब हिंदू धर्मगुरु भी उतर आए हैं।

इसी कड़ी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रमुख शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जरूरत पड़ने वे संतों का आह्वान करेंगे। उधर, विरोध कर रहे छात्रों ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति को अनुचित ठहराते हुए कहा कि धर्म विज्ञान संकाय में अनुभवात्मक विषयों का अध्ययन होता है।

उन्होंने कहा, जिसको हमारे धर्म का अनुभव ही नहीं है, वह पोथी पढ़कर क्या पढ़ाएगा। महामना ने साफ कहा था कि सनातन धर्म का ज्ञान वही दे सकता है जो सनातन धर्मांवलंबी हो। धर्म विज्ञान संकाय में शिलापट्ट भी लगा है कि हिन्दू ही वहां व्याख्यान दे सकता है। यह भाषा का विषय नहीं है, हमारे धर्म का विषय है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जरूरत पड़ने पर वे संतों का आह्वान करेंगे।

इससे पहले, विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के छात्रों ने पोस्टर पर ‘वी आर विथ यू फिरोज़ खान’, ‘संस्कृत किसी की जागीर नहीं’ जैसे पोस्टर के साथ मार्च निकाला। शोध छात्र विकास सिंह ने बताया कि महामना के मूल्यों को कुछ छात्र तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे समाज की कल्पना की जहां हर धर्म के लोग शिक्षा ग्रहण कर सकें। इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी की एक टीम ने फिरोज खान के समर्थन में कुलपति राकेश भटनागर से मुलाकात की।

पूर्व विधायक अजय राय ने बताया कि कुलपति भटनागर ने बताया, नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। वहीं विश्वविद्यालय के होलकर भवन के बाहर संस्कृत के छात्रों का प्रोफ़ेसर फिरोज खान की नियुक्ति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। विरोध में धरने पर बैठे शोध छात्र चक्रपाणि ओझा ने बताया, हमारा विरोध सनातनी संस्कृत को पढ़ाने को लेकर है।

उन्होंने कहा, हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बिना जाने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उन्हें सच्चाई मालूम नहीं है, पहले वो सच्चाई जानें। चक्रपाणि के अनुसार, विभाग में शिलापट्ट महामना ने लगवाया था, जिस पर साफ लिखा है कि संस्कृत महाविद्यालय का यह भवन सिर्फ सनातन धर्मावलंबियों के लिए है।

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