राजस्थान में एक पुराने मंदिर को गिराए जाने पर राजनीतिक बयानबाजी के अलवर कलेक्टर शिवप्रकाश नकाटे ने कहा कि मंदिर गिराने का फैसला नगर पालिका की बैठक में लिया गया था। दरअसल, मंदिर गिराने का फैसला लेने वाली राजगढ़ परिषद भी भाजपा की है। इस बीच, गहलोत सरकार ने मंदिर गिराने के संबंध में नगर पालिका से 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
कलेक्टर शिवप्रसाद ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि नगर पालिका चेयरमैन सतीश दुहारिया एवं अन्य ने अवैध अतिक्रमण हटाने के संबंध में 8 सितंबर 2021 को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करवाया था। इसमें मेला का चौराहा से गोलचक्कर तक के मुख्य रास्ते से मास्टर प्लान में बाधा का उल्लेख किया गया था। इस संबंध नगर पालिका द्वारा 6 अप्रैल, 2022 को नोटिस भी जारी किए गए थे।
कलेक्टर ने बताया कि अधिशासी अधिकारी राजगढ़ ने 12 अप्रैल 2022 को अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस बल की मांग की गई थी। कलेक्टर के मुताबिक इस कार्रवाई में किसी भी व्यक्ति का वैध अतिक्रमण नहीं हटाया गया। साथ ही इस कार्रवाई का किसी ने विरोध भी नहीं किया था। उन्होंने कहा कि मंदिर से पहले मूर्तियों को ससम्मान हटाया गया, फिर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई।
300 साल पुराना मंदिर : भाजपा के मुताबिक सरकार ने विकास के नाम पर 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर चला दिया। भगवा पार्टी ने कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए राजस्थान सरकार पर जमकर हमला बोला। राजस्थान भाजपा ने ट्वीट कर कहा कि जिस वक्त जहांगीरपुरी में दंगाइयों के अतिक्रमण पर बुलडोजर चल था उसी वक्त जहांगीरपुरी का बदला लेने राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने अलवर में 300 साल पुराना शिवालय बुलडोजर से ढहा दिया। दंगाइयों के अतिक्रमण ढहाने पर रोने वाले गहलोत ने एक क्षण नहीं लगाया औरंगजेब बन शिवालय ढहाने में।
खाचरियावास का भाजपा पर आरोप : दूसरी ओर, राजस्थान सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि नगर पालिका बोर्ड में भाजपा है। बोर्ड के फैसले के बाद ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि भाजपा वोटों के लिए सारा नाटक कर रही है। वहीं, भाजपा सांसद और पूर्व मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है।