लखनऊ। सीबीआई की टीमों ने शनिवार को अवैध खनन मामले में आईएएस के वरिष्ठ अधिकारी के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित आवास, कानपुर, हमीरपुर समेत 12 ठिकानों पर छापा मारा।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि ने समाजवादी पार्टी (सपा) शासन के दौरान बुंदेलखंड क्षेत्र में खनन घोटाले के सिलसिले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला तथा एक विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के आवास समेत 12 ठिकानों पर छापा मारा। इस बीच टीम ने वरिष्ठ अधिकारी के आवास से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। सीबीआई टीम द्वारा लखनऊ, नोएडा, हमीरपुर और कानपुर में छापा मारे जाने की सूचना है।
सीबीआई की टीम ने सपा एमएलसी रमेश मिश्रा और हमीरपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजीव दीक्षित के आवासों पर भी छापा मारा। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई टीम ने खनन घोटाले के मामले एफआईआर दर्ज करने की सूचना है। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
सीबीआई की टीम ने लगभग 15 की संख्या में राज्य की राजधानी में सफायर एंड विला अपार्टमेंट में आईएएस अधिकारी के फ्लैट नंबर 101 में छापा मारा। फ्लैट के अंदर से कई दस्तावेज जब्त किए। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी, जो अध्ययन अवकाश पर हैं और निवास पर मौजूद नहीं थी। टीम ने छापेमारी तीन घंटे में पूरी की। छापेमारी करने वाले अधिकारी ने मीडिया को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
हमीरपुर में खनन घोटाले के मामले में वर्ष 2012 में छापेमारी की गई थी। हमीरपुर की तत्कालीन जिलाधिकारी सुश्री चंद्रकला पर सपा के कुछ नेताओं को अवैध रूप से 60 खनन पट्टे आवंटित करने का आरोप है। उस दौरान ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों को स्वीकृत करने का प्रावधान था। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी करते हुए ऐसा किया गया था।
सीबीआई ने हमीरपुर और जालौन के दो बड़े खनन ठेकेदारों के आवासों और कार्यालयों पर भी छापा मारा और कई दस्तावेज जब्त किए और परिवार के सदस्यों से पूछताछ की।
हमीरपुर जिला अधिकारियों द्वारा खनन पट्टे देने में अनियमितताओं के बारे में 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई, 2016 को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए थे। इससे पहले पिछले महीने, सीबीआई टीम ने एक सप्ताह के लिए हमीरपुर में रहकर इस मामले की जांच की थी जिसके बाद शनिवार को आईएएस अधिकारी के आवास पर छापा मारा।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव की सरकार में बी. चन्द्रकला की हमीरपुर में जिलाधिकारी के पद पर तैनाती की गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी ने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 60 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन उन्होंने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी। वर्ष 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिए थे। मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए थे। (वार्ता)