Chief Minister Siddaramaiah told his love story : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने समाज में जातिवाद के कारण असफल रही अपनी 'प्रेम कहानी' को याद करते हुए गुरुवार रात को यहां एक कार्यक्रम में जनता के सामने अपने मन की बात खुलकर रखी।
अंतरजातीय विवाह करना चाहता था : बुद्धपूर्णिमा के अवसर पर अंतर-जातीय विवाह के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कॉलेज के अपने पुराने दिनों को याद किया। बुद्धपूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। सिद्धारमैया ने कहा, मैं अंतर-जातीय विवाह करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। लड़की ने (विवाह का) प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने अपनी बात और स्पष्ट करते हुए कहा, जब मैं पढ़ रहा था तो मुझे एक लड़की से प्यार हो गया था। मुझे गलत न समझें। मैंने उससे शादी करने की सोची थी, लेकिन उसके परिवार वाले और खुद लड़की भी राजी नहीं हुई। इसलिए शादी नहीं हो पाई।
अंतरजातीय विवाहों के लिए मिलेगी सभी सहायता : मुख्यमंत्री ने कहा, एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई कि मुझे अपनी ही जाति की लड़की से शादी करनी पड़ी। मेरा विवाह मेरे समुदाय (जाति) में ही हुआ। दर्शकों ने तालियां बजाकर और हंसी-ठहाकों के साथ मुख्यमंत्री की स्वीकारोक्ति की सराहना की। अंतर-जातीय शादियों के लिए पूर्ण सहयोग एवं समर्थन का हाथ बढ़ाते हुए सिद्धारमैया ने वादा किया कि उनकी सरकार अंतर-जातीय विवाहों के लिए सभी सहायता प्रदान करेगी।
समाज सुधारकों की कोशिशों का प्रतिफल नहीं मिला : उनके अनुसार, जातिवाद को समाप्त करने तथा समाज में समानता स्थापित करने की कोशिश गौतमबुद्ध के काल से तथा कर्नाटक में 12वीं सदी में समाज सुधारक भगवान बसवेश्वर के दौर से ही होती आ रही है। उन्होंने अफसोस जताया कि समानता आधारित समाज के निर्माण की कई समाज सुधारकों की कोशिशों का अब तक प्रतिफल नहीं मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज से जातिवाद की बुराई दूर करने के महज दो तरीके हैं। उन्होंने कहा, जातिवाद को समाप्त करने के दो तरीके हैं- एक अंतर-जातीय विवाह और दूसरा सभी समुदायों में सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण। समाज में सामाजिक समानता बिना सामाजिक-आर्थिक उत्थान के नहीं हो सकती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour