नई दिल्ली। तमिलनाडु में छठी कक्षा की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया। परीक्षा में पूछा गया कि क्या दलित अछूत होते हैं? यह प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि वायरल प्रश्नपत्र केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूल से जुड़ा है। हालांकि केवीएस ने इस प्रश्नपत्र को फर्जी करार दिया है। वहीं सीबीएसई ने कहा है कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।
बहु विकल्पीय प्रश्न में पूछा गया था कि ‘दलित’ शब्द का क्या अर्थ होता है और विकल्प में विदेशी, अछूत, उच्च वर्ग और मध्य वर्ग था।
द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, 'केंद्रीय विद्यालय की छठी कक्षा में पूछे गए सवाल को देखकर स्तब्ध हूं। यह सवाल जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करता है। इस प्रश्न पत्र को बनाने में जिसका भी हाथ हो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।'
वहीं एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरण ने सीबीएसई की निंदा करते हुए कहा कि मैं इस तरह के संवेदनशील विषय पर बिना सामान्य समझ के पूछे गए इस सवाल की निंदा करता हूं, यह बिल्कुल भी नहीं सोचा गया कि यह सवाल छात्र-छात्राओं के दिमाग पर क्या असर करेगा?
हालांकि केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे ‘फर्जी प्रश्न पत्र’ का संज्ञान लिया है। सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि यह सवाल तमिलनाडु या पुडुचेरी के कुछ केंद्रीय विद्यालय का हो सकता है।
बयान में केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कहा कि अभी तक केवीएस के समक्ष कोई भी ऐसा सबूत नहीं लाया गया है जिससे यह साबित हो कि यह प्रश्नपत्र केंद्रीय विद्यालय का है। संगठन ने कहा कि उनके क्षेत्रीय कार्यालय ने पाया है कि चेन्नई क्षेत्र के 49 केंद्रीय विद्यालयों में से किसी ने भी यह प्रश्नपत्र तैयार नहीं किया है। (भाषा)
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