पिथौरागढ़। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिथौरागढ़ में रविवार को काली एवं गोरी नदी के संगम पर स्थित जौलजीवी में प्रसिद्ध ऐतिहासिक, पारंम्परिक एवं व्यापारिक जौलजीवी मेले का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने मेले में विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेला हमारी बहुत बड़ी सास्कृतिक धरोहर हैं। मेले धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देते हैं। जौलजीवी मेले को और अधिक विकसित एवं सुविधायुक्त बनाया जाएगा। जौलजीवी मेला भारत नेपाल के मैत्री संबंधों को भी बढ़ाता है।
मेले हमारी धरोहर एवं संस्कृति के द्योतक हैं, उन्हें हमें आगे बढ़ाते हुए जीवित रखना है। ये मेला सीमांत की रहने वाली जनजातियों की आय का मुख्य साधन भी हैं और भारत-नेपाल के रिश्तों में पुल का काम करता है। इस व्यापारिक मेले का आगाज 1871 में एक धार्मिक मेले के बतौर हुआ था। अस्कोट रियासत के तत्कालीन राजा पुष्कर पाल ने जौलजीबी में ज्वालेश्वर महादेव के मंदिर की स्थापना की थी और तभी से यहां धार्मिक मेले की शुरुआत हुई। आज यही मेला अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मेले में तब्दील हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा विगत 4 महीनों में प्रदेश के हित में 400 से अधिक फैसले लिए हैं। इन सभी फैसलों का शासनादेश भी जारी हो चुके हैं। प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत किए जाने हेतु महिला समूहों को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान हेतु 3 से 5 लाख तक का ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज पर दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप आज ये महिला समूह अन्य को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राहत के सभी मानकों में धनराशि बढ़ाए जाने हेतु भी भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। राज्य स्तर पर पूर्व में आपदा के दौरान घर पर पानी आ जाने और आंशिक नुकसान पर जो 3800 रुपये दिए जाते थे अब उसे बढ़ाकर 5000 कर दिया गया है। भवन क्षति की धनराशि भी 1 लाख 1900 से बढ़ाकर अब 1 लाख 50 हजार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष आने वाली आपदाओं की रोकथाम हेतु राज्य में एक आपदा अनुसंधान संस्थान खोले जाने हेतु भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।