नागपुर। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा कि लोनार झील के विकास की अवधारणा में इसका संरक्षण भी शामिल है। अदालत ने इसके जीव विज्ञान, भू-विज्ञान और सौंदर्य मूल्य को समझने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस झील के पानी का रंग हाल ही में गुलाबी हो गया।
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की खंडपीठ ने बुधवार को कीर्ति निपांकर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की जिन्होंने झील के पानी के रंग में बदलाव पर चिंता जताई। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में लगभग 50,000 साल पहले एक उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने के बाद बनी अंडाकार लोनार झील एक लोकप्रिय पर्यटन केंद्र है।
झील के पानी का रंग हाल ही में गुलाबी हो गया जिसने न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि प्रकृति के प्रति लगाव रखने वाले दूसरे लोगों और वैज्ञानिकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। इस मुद्दे को देखने के लिए अदालत द्वारा गठित समिति के सदस्य अधिवक्ता सीएस कप्तान ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने लोनार झील और इसके आसपास के क्षेत्र के विकास के लिए महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम को लगभग 91 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। कप्तान ने बताया कि यह फंड उपलब्ध है, लेकिन उनका उचित उपयोग नहीं हो रहा है।
अदालत ने तब कहा कि लोनार झील के विकास की अवधारणा में झील के संरक्षण और परिरक्षण का मुख्य मुद्दा शामिल है। अदालत ने कहा कि यदि झील को संरक्षित किया जाता है, तो ही इसके विकास को एक मायने मिल सकेगा।
अदालत ने कप्तान और याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद परचुरे द्वारा एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के सुझाव को स्वीकार कर लिया, जो इन सभी एजेंसियों के लिए एक प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा। पीठ ने कहा कि झील से संबंधित सभी प्रस्ताव नोडल अधिकारी को भेजे जाएंगे। अदालत ने बुलढाणा के कलेक्टर को झील के आसपास के क्षेत्र में खुले में शौच को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का भी निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को निर्धारित किया। (भाषा)