स्थान : रीगल चौराहा, देवी अहिल्या लाइब्रेरी के सामने। तारीख : 22 अप्रैल, 2021, समय : सुबह 7.30 के लगभग। एक पुलिसकर्मी रिक्शे को रोकता है और पूछताछ किए बिना ऑटो की चाबी निकाल लेता है और उसकी हवा निकालने की कोशिश करता है, रिक्शे में सवार मां-बेटी उसे रोकने की कोशिश भी करती हैं...
पुलिसकर्मी चाबी लेकर सड़क के दूसरे छोर पर खड़ा हो जाता है। दरअसल, कर्फ्यू के दौरान लोग अनावश्यक बाहर नहीं निकलें इसके लिए पुलिसकर्मियों को हिदायत है कि इस तरह के लोगों की जांच करें और उन्हें रोकें। लेकिन, उन्हें यह भी स्पष्ट निर्देश (राज्य सरकार का आदेश भी) हैं कि किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केन्द्र जाने से न रोका जाए।
इस घटना में भी एक मेडिकल स्टूडेंट देवास के पास स्थित एक मेडिकल कॉलेज में परीक्षा देने जा रही थी। जहां बस खड़ी होती है, वहां तक उसकी मां भी ऑटो से उसे छोड़ने जा रही थीं, तभी यह घटना घट गई। पुलिसकर्मी ने रीगल के पास रिक्शा रुकवा लिया और चाबी छीन ली। लड़की ने अपना टाइम टेबल और आईडी कार्ड भी दिखाया लेकिन उसने एक नहीं सुनी। ऑटो चालक से भी बदतमीजी की।
इस पुलिसकर्मी का कहना था कि ऑटो से क्यों आए, आपको निजी वाहन से जाना चाहिए। जब स्टूडेंट की मां ने कहा कि यदि किसी के पास निजी वाहन न हो तो क्या उसे परीक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा? बाद में बात को अनसुनी कर यह पुलिसकर्मी चाबी लेकर सड़क के दूसरे छोर पर चला गया।
लड़की इस डर से रोने लगी कि कहीं देर हो गई तो उसकी बस निकल जाएगी और वह परीक्षा नहीं दे पाएगी। इसी बीच, एक वरिष्ठ अधिकारी की नजर पड़ी तो उन्होंने मामले को समझा और पुलिसकर्मी को आवाज लगाई- मिश्रा, इन्हें चाबी दे दो। इसके बाद पुलिसकर्मी ने चाबी लौटाई और स्टूडेंट अपने गंतव्य की ओर रवाना हुई।
लड़की की मां ने वेबदुनिया से बातचीत में सवाल उठाया कि आपदा के इस दौर में जब ज्यादातर लोग शारीरिक, मानसिक, आर्थिक सभी तरह से टूट गए हैं, ऐसे में क्या 'जिम्मेदार' लोगों को मानवीयता और विवेकपूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिए?