मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे दही हांडी उत्सव में भाग नहीं ले सकते। अदालत ने इस बात को स्वीकार कर लिया, लेकिन मानव पिरामिड की ऊंचाई की कोई सीमा तय करने से इंकार किया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि गोविंदाओं की उम्र को लेकर कोई सीमा तय करना उच्च न्यायालय का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘उम्र और ऊंचाई की सीमा तय करना हमारे दायरे में नहीं है। यह मामला विशेष रूप से राज्य विधायिका के दायरे में आता है।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अगर हम विधायिका के कार्यक्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो यह अतिक्रमण होगा। अगर किसी तरह की रोक जरूरी है तो इस बारे में राज्य विधायिका को फैसला करना है और कानून पारित करना है।
न्यायाधीश ने कहा कि ‘हम राज्य सरकार की ओर से दिए गए बयान को स्वीकार करते हैं कि वह सुनिश्चित करेगी कि दही हांडी उत्सव में 14 वर्ष से कम आयु का कोई बच्चा भाग नहीं लेगा। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अवर सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि बाल श्रम (निषेध और विनियमन) कानून के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को उत्सव में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी, क्योंकि सरकार ने पिछले वर्ष अगस्त में दही हांडी को एडवेंचर स्पोर्ट्स घोषित कर दिया है। अदालत शहर के दो नागरिकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवायी कर रही थी। (भाषा)