गांधीनगर। गुजरात सरकार का कहना है कि गिर के जंगलों में 12 सितंबर से अभी तक हुई कम से कम 11 बब्बर शेरों की मौत के लिए कैनाइन डिस्टेम्पर विषाणु और प्रोटोजोआ का संक्रमण जिम्मेदार है।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि फिलहाल 36 से ज्यादा शेरों को निगरानी में रखा गया है। इनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है।
गौरतलब है कि वन विभाग पहले कई बार यह कह चुका है कि बब्बर शेरों में आपस में हुई लड़ाई के दौरान लगे जख्मों के कारण उनकी मौत हुई है। बब्बर शेर पूरे एशिया में सिर्फ गिर के जंगलों में बचे हुए हैं।
उन्होंने बताया कि गिर के इन बब्बर शेरों को बचाने के लिए एहतियात के तौर पर अमेरिका से 300 टीके मंगवाये गये हैं।
राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्री गणपत वसावा ने संवाददाताओं को बताया कि पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने अपनी जांच में पाया कि 11 शेरों में से चार में कैनाइन डिस्टेम्पर विषाणु (सीडीवी) संक्रमण मिला जबकि बाकि सात में प्रोटोजोआ संक्रमण मिला है।
कैनाइन डिस्टेम्पर विषाणु से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है जिससे तमाम तरह की पशु प्रजातियां प्रभावित होती हैं। इस बीमारी से पशु की श्वसन प्रणाली, आंतें और तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। इससे पहले सीडीवी ने पूर्वी अफ्रीका के सेरेंगेती के जंगलों में रहने वाले शेरों में से करीब एक तिहाई की जान ले ली थी। (भाषा)