Delhi High Court's decision regarding helpful person : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि संकट के समय किसी व्यक्ति की मदद करने वाले को दयालुता दिखाने के लिए परेशान नहीं किया जाना और यदि ऐसे व्यक्ति को परेशान किया जाता है तो कानून को आगे आकर अवश्य ही उसकी मदद करनी चाहिए।
अदालत ने एक ट्रक चालक की विधवा के लिए पांच लाख रुपए की क्षतिपूर्ति मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की। साल 2018 में सड़क हादसे के शिकार एक व्यक्ति की मदद करते हुए इस चालक की जान चली गई थी।
न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने हाल के अपने आदेश में कहा, जब वह (पीड़ित) अपनी गाड़ी की ओर लौट रहा था, जो कि संभवत: सड़क पर एक तरफ खड़ी होगी, तब उसे तेजी से आ रहे एक अन्य वाहन ने टक्कर मार दी और वह घायल हो गया, हमें तो यह मानना ही होगा कि नेकनीयत वाला इंसान होने के नाते उसने अपना ट्रक रोका और संकट में फंसे किसी व्यक्ति की मदद की।
अदालत ने कहा, जिस व्यक्ति ने किसी अन्य इंसान की मदद करना चुना, उसे दयालुता दिखाने के लिए परेशान नहीं किया जाना चाहिए और यदि उस दौरान नेकनीयत वाला यह व्यक्ति घायल हो गया या जानलेवा परिणाम का शिकार हो गया तो कानून को उसके लिए आगे आना चाहिए।
विधवा दावा आयुक्त द्वारा क्षतिपूर्ति मंजूर करने से इनकार करने पर उच्च न्यायालय पहुंची थी। दावा आयुक्त ने इस आधार पर क्षतिपूर्ति मंजूर करने से इनकार कर दिया था कि मृतक (चालक) ने खुद ही दुर्घटना का शिकार होकर संकट बढ़ा दिया जबकि यह उसके रोजगार का हिस्सा नहीं था, इस तरह क्षतिपूर्ति की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि दुर्घटनास्थल से गुजर रहे राहगीर/ नेकनीयत वाले इंसान को महज इस बात के लिए परेशान नहीं किया जाना चाहिए कि वह अपनी मर्जी से सड़क और राजमार्ग पर मोटर वाहन दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की तत्काल मदद के लिए आगे आया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में नियोक्ता को कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए आयुक्त के सामने ऐसा कोई सबूत नहीं था जो चालक पर दाग लगाए और यह भी कि वह शराब या ड्रग के नशे में था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour