इंदौर। छह दशक तक निःस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा करने वाली 'डॉक्टर दादी' डॉ. भक्ति यादव का लम्बी बीमारी के बाद सोमवार को यहां निधन हो गया। वह 91 वर्ष की थीं।
चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें इसी वर्ष "पद्मश्री" से सम्मानित किया गया था। डॉ. भक्ति के बेटे रमन यादव ने बताया कि उनकी मां ने सोमवार सुबह घर में आखिरी सांस ली। वह हड्डियों के कमजोर होने के रोग ऑस्टियोपोरोसिस और वृद्धावस्था के अलग-अलग स्वास्थ्यगत विकारों से पीड़ित थीं।
पिछले कुछ महीनों से उनका वजन लगातार घट रहा था। उन्होंने बताया कि डॉ. भक्ति ने पिछले छह दशक में एक लाख से ज्यादा महिलाओं का इलाज किया था। गरीब तबके की मरीजों को वह निःशुल्क चिकित्सकीय सलाह और दवाएं देती थीं।
चिकित्सा जगत में इस उल्लेखनीय योगदान के कारण स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. भक्ति को "पद्मश्री" सम्मान के लिए चुना गया था। हालांकि, अपनी अधिक उम्र और शारीरिक कमजोरी की वजह से वह दिल्ली में 13 अप्रैल को आयोजित समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से यह सम्मान ग्रहण करने नहीं जा सकी थीं। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने 20 अप्रैल को उनके इंदौर स्थित घर पहुंचकर देश के इस चौथे सबसे बड़े नागरिक अलंकरण के तहत उन्हें पदक और प्रशस्ति पत्र सौंपा था।
वह इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में वर्ष 1948 से 1953 के बैच में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाली अकेली लड़की थीं। (भाषा)