लखनऊ। पड़ोसी जिले सीतापुर में कुत्तों के काटने से बच्चों की मौत के बाद राजधानी के सबसे बड़े बलरामपुर सरकारी अस्पताल का प्रशासन आवारा कुत्तों को भगाने के लिए निजी एजेंसी की सेवाएं लेने के लिए बाकायदा टेंडर निकालने की तैयारी कर रहा है।
अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल प्रशासन टेंडर जारी कर प्राइवेट एजेंसी को बुलाकर अस्पताल को कुत्ता मुक्त करवाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए प्रदेश शासन से टेंडर निकालने की अनुमति मांगी गई है।
अस्पताल में प्रतिदिन राजधानी लखनऊ और उसके आसपास के करीब इलाकों से तकरीबन 250 मरीज कुत्तों के काटने के बाद इंजेक्शन लगवाने अस्पताल आते हैं। अस्पताल के निदेशक डॉ. राजीव लोचन ने शुक्रवार को बताया कि परिसर में दर्जनों आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं, जिनसे यहां आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को खासी परेशानी होती है।
रोजाना बहुत से लोग इन कुत्तों के बारे में शिकायत करते हैं। ऐसे में कुत्तों को भगाने के लिए टेंडर निकालने की योजना बनाई है। इसके लिए शासन को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है। सीतापुर में पिछले छह महीने में कुत्तों के हमलों में 13 बच्चों की मौत हो चुकी है और हर रोज दर्जनों लोग इनके काटने से परेशान हैं।
गत एक मई को कुत्तों के हमलों में एक साथ छह बच्चों की मौत ने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया। इन घटनाओं से सबक लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने कुत्तों से निजात पाने के लिए कदम उठाने का फैसला किया। लोचन बताते हैं कि बीते कई महीनों से मरीज और तीमारदार वहां घूम रहे कुत्तों से बेहाल हैं।
अस्पताल शहर के बीचोबीच घनी आबादी में होने के कारण यहां कुत्तों के अलावा आवारा गाय और भैंस भी घूमते रहते हैं। इसलिए किसी एजेंसी को कुत्तों के साथ-साथ अन्य आवारा जानवरों को भी अस्पताल से निकालने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
गौरतलब है कि इससे पहले बलमरापुर अस्पताल में बंदरों का भी आतंक था। यहां बंदरों को भगाने के लिए भी अस्पताल प्रशासन को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। प्रशासन को बंदर भगाने के लिए लंगूर मंगाना पड़ा था। (भाषा)