विशाखापट्टनम। आंध्रप्रदेश में गधे पूरी तरह से विलुप्त होने की कगार पर हैं। गधों की संख्या कम होने के पीछे मांस के लिए उनकी अवैध हत्या को कारण बताया जा रहा है। आंध्रप्रदेश के पश्चिम गोदावरी, कृष्णा, प्रकाशम और गुंटूर जिलों से गधों के अवैध रूप से कत्ल किए जाने की कई खबरें सामने आई हैं।
मांस के लिए गधों की अंधाधुंध हत्या पर रोक लगाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। 2012 से 2019 के बीच में देश में गधों की जनसंख्या में करीब 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। 2019 में आंध्रप्रदेश में गधों की आबादी सिर्फ 5 हजार रह गई थी।
गधों का इस्तेमाल ज्यादातर सामान ढोने के लिए किया जाता है, लेकिन भारत में इनके मांस का उपयोग खाने के लिए बहुत कम ही देखा गया है, लेकिन आंध्रप्रदेश में गधों के लिए हालात अब भयावह होते जा रहे हैं। राज्य में गधे का मांस लोकप्रिय होने से इनकी बड़े स्तर पर हत्या की जा रही है, जिससे गधे अब राज्य में विलुप्त होने की कगार पर भी पहुंच गए हैं।
गैर कानूनी है गधों की हत्या : गधों को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) 2011 के अनुसार, 'खाद्य जानवर' के रूप में पजीकृत नहीं किया गया है। ऐसे में दोषियों पर कार्रवाई हो सकती है। कानूनों के बाद भी गधा मांस खुलेआम बेचा जा रहा है और वह भी भारी कीमतों पर। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए व्यापारी अवैध तरीकों से ट्रकों में जानवरों को ले जा रहे हैं और प्रत्येक को 10 से 15000 रुपए में बेच रहे हैं। बाजार में गधों का मांस करीब 600 रुपए किलो बिक रहा है।
कई बीमारियों के दूर होने का दावा : आंध्रप्रदेश में लोगों का मानना है कि गधे का मांस कई स्वास्थ्यगत समस्याओं को दूर कर सकता है। लोगों का मानना है कि इसे खाने से सांस की समस्या दूर हो सकती है। यह भी दावा किया जाता है कि गधे का मांस खाने से यौन क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
हालांकि मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, गधों के मांस से औषधीय गुण की बातें बेतुकी हैं। यह अभी तक साबित नहीं हुआ है कि गधे के मांस से यौन शक्ति बढ़ती है। कई पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने गधों के अवैध ट्रांसपोर्ट के खिलाफ आवाज उठाते हुए शिकायत दर्ज करवाई है।