मुंबई। महाराष्ट्र के 13 जिलों की करीब 170 तहसीलों में इस साल कम बारिश होने से बांधों में जलस्तर में खासी कमी आई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने समस्या को देखते हुए पेयजल की आपूर्ति के लिए टैंकर भेजने शुरू कर दिए हैं। इसके साथ ही यह आकलन किया जा रहा है कि क्या स्थिति को सूखा कहा जा सकता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद और नासिक प्रमंडलों में इस साल सबसे कम बारिश हुई। वहां के बांधों में पानी भंडार क्रमश: 27.59 प्रतिशत और 64.89 प्रतिशत बचा है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (राहत और पुनर्वास) मेधा गाडगिल ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में सूखे की घोषणा 3 चरणों की प्रक्रिया के बाद की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 13 जिलों की 170 तहसीलों की पहचान की है, जहां कम बारिश हुई है, जहां पहला चरण शुरू किया गया है। इस चरण में यह पहचान की जाती है कि किसी स्थान को सूखा घोषित किया जाए या नहीं? सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहले चरण की घोषणा का अर्थ यह नहीं है कि इन स्थानों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है।
गाडगिल ने कहा कि राज्य सरकार मिट्टी नमी सूचकांक, सामान्य वनस्पति सूचकांक और जल सूचकांक के संबंध में राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र से विस्तृत रिपोर्ट की उम्मीद कर रही है। इसके आधार पर दूसरा चरण शुरू किया जाएगा।
राज्य के जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के मुताबिक स्थिति को देखते हुए 1 अक्टूबर से महाराष्ट्र के गांवों और बस्तियों में 329 टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 107 टैंकरों से पानी की आपूर्ति की जा रही थी।
राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यदि मानसून के लौटने के दौरान मध्य अक्टूबर के आसपास बारिश होती है तो स्थिति बदल सकती है। उन्होंने कहा कि सूखा घोषित करने की प्रक्रिया 31 अक्टूबर से पहले पूरी करनी होगी। (भाषा)