Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पर उपदेस कुशल बहुतेरे ............

Advertiesment
हमें फॉलो करें Gujrat election
, बुधवार, 27 दिसंबर 2017 (18:02 IST)
नई दिल्ली। क्या 'जातिवाद के जहर’ को कोसने वाली भाजपा खुद सत्ता में आने पर इसे बढ़ावा नहीं देती? लेकिन गुजरात में जातियों की आबादी और उनके चुनावी महत्व को देखकर वैसा ही मंत्रिमंडल बना लिया गया है जैसाकि अन्य कोई पार्टी। गुजरात चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वहां ‘जातिवाद का जहर’ फैलाया गया था लेकिन जब यह बात स्पष्ट हो गई कि भाजपा को एक सैकड़े तक सिमटाने में पाटीदार ही नहीं अन्य जातियां भी शामिल रही हैं तो भाजपा के राष्ट्रवादी नेताओं के ज्ञानचक्षु खुले और उन्हें समझ में आया कि जातिवाद के गणित ने पार्टी की ताकत को कम कर दिया।   
 
जब भाजपा के नेताओं ने समझा कि पार्टी से पाटीदार ही नहीं, अन्य जातियां भी नाराज रही हैं तो इसका हल खोजा गया। परिणामस्वरूप रूपाणी मंत्रिमंडल का गठन जातियों के संख्या बल और चुनावी ताकत के आधार पर तय किया गया। ‍‍अमित शाह ने अपना हिसाब लगाने के बाद निष्कर्ष निकाला कि कांग्रेस ने जातिवाद का कार्ड खेला। पर अगर आप रूपाणी मंत्रिमंडल पर एक नजर डालें तो समझ सकते हैं कि इस पर भी वही जातिवाद हावी है जिसकी शिकायत नरेंद्र मोदी, अमित शाह करते रहे हैं।  
 
राजग के शक्तिप्रदर्शन के लिए मोदी और शाह के सामने जिस मंत्रिमंडल ने गांधीनगर में शपथ ली उसमें जात-बिरादरी का पलड़ा भारी दिखता है। सरकार में जिन 19 मंत्रियों को मंत्री बनाया गया है उनमें छह पाटीदार समुदाय से आते हैं और पांच पिछड़ा वर्ग से हैं। तीन मंत्री आदिवासी समुदाय के हैं,  तीन क्षत्रिय, एक दलित समुदाय से है और एक ब्राह्मण समुदाय से चुना गया है।
 
विजय रुपाणी जैन हैं और उन्हें ‘कास्ट न्यूट्रल’ कहा जाता है। यानि वे किसी भी जाति के नहीं हैं। वे खुद को सीएम यानि ‘कॉमन मैन’ कहकर बुलाते रहे हैं। पर उनके उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल कड़वा पाटीदार हैं और हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन का केंद्र रहे महेसाणा से चुनाव जीते हैं।
 
सरकार में तीसरे नंबर की हैसियत रखने वाले आर.सी. फलदू जामनगर के विधायक हैं और लेउवा पटेल समाज से है। मुश्किल समय में लेउवा पटेलों ने भाजपा का साथ दिया और सौराष्ट्र से आरसी फलदू जीते। इसलिए उन्हें विजय रूपाणी की टीम में शामिल किया गया है।
 
रूपाणी सरकार में भूपेंद्र सिंह चूडास्मा क्षत्रिय राजपूत नेता भी हैं। वे अहमदाबाद की धोलका सीट से पांचवीं बार विधायक बने हैं। ठाकोर राजपूतों का वोट कांग्रेस की तरफ खिसका है लेकिन क्षत्रिय राजपूत भाजपा के साथ बने रहे। इसलिए चूडास्मा को रूपाणी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। लेकिन दिलीप ठाकोर को मंत्री बनाकर भाजपा ने ठाकोर समाज को भी वापस अपनी ओर खींचने की कोशिश की है। 
 
राजपूत समुदाय से आने वाले प्रदीप जडेजा को भी रूपाणी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल में गणपत वसावा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि कहा जा रहा था कि वे कम से कम उप मुख्यमंत्री बनेंगे। आदिवासी वोट बैंक में कांग्रेस ने इस बार जबरदस्त सेंध लगाई है। इस कारण से बसावा समेत तीन आदिवासी नेताओं को मंत्री बनाकर भाजपा ने आदिवासी वोटों को अपने पास रखने की कोशिश की है।
 
इसी तरह भाजपा के पास गुजरात में दलित नेताओं का अकाल रहा है। यह भी माना जा रहा है कि जिग्नेश मेवाणी ने उसे इस बार भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए ईश्वर परमार को पहली बार में ही कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। 
 
भाजपा नेताओं का मानना है कि पटेल समुदाय तो अधिक समय तक उससे अलग नहीं रह सकता लेकिन दलित समाज के साथ उसका रिश्ता अब तक बिखरा-बिखरा सा है। चुनाव में ऊना की घटना को कांग्रेस ने भी काफी उछाला और यह सिद्ध करने की कोशिश की कि भाजपा दलित विरोधी है।
 
इन चुनावों में गुजरात में कोली वोटरों का साथ भाजपा को मिला। राज्य की करीब 20 सीटें ऐसी हैं जहां कोली समाज ही जीत और हार तय करता है लेकिन इस समाज के नेताओं को अब तक सही प्रतिनिधित्व नहीं मिलता था। 
 
इस बार भाजपा ने गांव-गांव में यह प्रचारित कराया कि चूंकि देश के राष्ट्रपति भी कोली (उप्र में कोरी समाज) समाज के हैं लिहाजा इस बार कोली समाज के नेता मंत्री बनेंगे। इसका नतीजा यह सामने आया कि कोली समाज के दो नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया। पुरुषोत्तम भाई सोलंकी और बचुभाई खाबड़ इस समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
 
चूंकि इस बार पार्टी ने पटेल वोटों के नुकसान की भरपाई पिछड़े वोटों से करने की कोशिश की और इसी का नतीजा है कि उसने पिछड़े वर्ग से आने वाली जातियों के पांच लोगों को गुजरात सरकार में मंत्री बनाया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बड़ा हादसा टला, उड़ान से ठीक पहले ईंधन रिसाव का पता चला