हरीश चौकसी
यह बात विचित्र लग सकती है, लेकिन इसमें दम तो है। आखिर भाजपा के धुरविरोधी हार्दिक पटेल ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की कुर्सी बचा ली। बताया जा रहा है कि भाजपा ने रूपाणी को बदलने का मन बना लिया था, लेकिन हार्दिक के एक बयान से उनकी कुर्सी बच गई।
गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की आंधी इस बार नहीं चली। जिस भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में 183 में से 128 सीटें प्राप्त की थीं, वहीं भाजपा मोदी के पीएम बनने के बाद गुजरात में अपना वर्चस्व बरकरार नहीं रख पाई। इसकी वजह आंतरिक गुटबाजी मानी जा रही है।
गुजरात में पाटीदार समुदाय भाजपा से नाराज है, यह बात पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल ने चुनाव के समय चीख-चीखकर लोगों को बताई, लेकिन फिरभी भाजपा ने 99 सीटें जीतकर अपनी सरकार बनाई और दूसरी ओर कांग्रेस जो गुजरात में कोमा में चली गई थी, वह 78 सीटों के साथ हारकर भी जीत गई।
बताया जा रहा है कि चुनाव के चार महीने बाद भाजपा के खिलाफ पाटीदार, अन्य समुदायों और किसानों की नाराजगी बढ़ रही है। इस बीच, लोकसभा चुनावों से पहले सीएम रूपाणी को हटाकर किसी पाटीदार या फिर क्षत्रीय नेता को सीएम बनाकर गुजरात में ज्यादा सीटें हासिल करने का प्यान भाजपा ने बना लिया था। इसी बीच, हार्दिक पटेल को भाजपा के इस प्लान की भनक लग गई। उन्होंने लगे हाथ अपना जुबानी तीर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आगामी 10 दिनों में भाजपा सीएम रूपानी का इस्तीफा लेकर किसी पाटीदार या क्षत्रिय नेता को मुख्यमंत्री बना देगी।
हार्दिक के इस दावे के पीछे तर्क था कि यदि कोई सौराष्ट्र का पाटीदार नेता मुख्यमंत्री बनता है तो हार्दिक को सौराष्ट्र में नुकसान उठाना पड़ सकता है और लोगों का मूड बदल सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि इसी डर से हार्दिक ने सीएम के इस्तीफे का दावा किया और उधर भाजपा ने भी हार्दिक को गलत ठहराने के लिए रूपाणी को बतौर सीएम रहने दिया।
हालांकि कहा तो यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले रूपाणी को बदला जा सकता है। लेकिन, यह बात सही है कि हार्दिक के एक बयान ने फिलहाल तो रूपाणी को बचा ही लिया।