हरिद्वार। कोरोनावायरस (Coronavirus) के कारण हरिद्वार में गंगा दशहरा पर हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र में श्रद्धालु के पहुंचने पर लगी रोक से श्रद्धालुओं ने आसपास के घाटों पर डुबकी लगाई। गंगा दशहरा पर्व पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से हरकी पैड़ी श्रद्धालु विहीन दिखाई दी।
कुछ ही लोग हरकी पैड़ी पहुंचे स्थानियों के साथ किसी तरह यहां पहुंच गए लोगों ने आसपास के गंगा घाटों पर स्नान किया।लेकिन वे ब्रह्मकुंड पर गंगा स्नान नहीं कर पाए। कोरोना संकट के चलते हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड क्षेत्र को सील किया गया है।पुलिस और प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद हरिद्वार में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के स्नान की भीड़ अचानक बढ़ गई है।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए हरकी पैड़ी पहुंच रहे हैं। हालांकि बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को बॉर्डर पर ही रोका जा रहा है। हरकी पैड़ी तक जाने से पहले लगाई गई बैरिकेडिंग पर श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही जमा हो गई।
जबकि पुलिस ने स्पष्ट किया था कि तीर्थ पुरोहितों के अलावा कोई भी अन्य श्रद्धालु हरकी पैड़ी में स्नान नहीं कर सकेगा। श्रद्धालु हरकी पैड़ी जाने की जिद कर रहे थे, पुलिस उन्हें आगे जाने से मना कर रही थी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वहीं मास्क के प्रति भी लोग लापरवाह नजर आ रहे हैं।
कोविड संक्रमण के चलते इस बार सिर्फ गंगा दशहरा के स्नान को प्रशासन ने सांकेतिक स्नान के रूप में अनुमति दी। साथ ही बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं की हरिद्वार में एंट्री पर रोक लगाई गई है। बावजूद इसके वे बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया जा रहा है। अस्थि प्रवाह घाट पर भी स्नान करने वालों की भीड़ लगी है। भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कोरोना महामारी के चलते पुलिस प्रशासन ने दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं से गंगा स्नान के लिए हरिद्वार न आने की अपील की है। 21 जून को निर्जला एकादशी पर भी जिले की सभी सीमाएं सील रहेंगी। पुलिस प्रशासन के अनुसार, हरकी पैड़ी समेत अन्य घाटों पर स्नान सांकेतिक होगा। स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण का दिन माने जाने के कारण गंगा दशहरा पर्व को महापुण्यकारी माना जाता है।
गंगा दशहरा के दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। वहीं इस दिन मोक्षदायिनी गंगा का पूजन-अर्चन भी किया जाता है। गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना करने के साथ ही दान-पुण्य करते हैं।
कई लोग तो स्नान करने के लिए हरिद्वार स्थित पवित्र नदी में स्नान करने आते हैं।माना यह भी जाता है कि गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है। इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है।