लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 के लिए जारी किए गए आरक्षण पर रोक लगाते हुए साल 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण को जारी रखने के निर्देश दिए हैं।
न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण को अंतिम रूप देने के लिए 2015 को आधार वर्ष के रूप में रखने का आदेश दिया और कहा कि राज्य में 25 मई तक पंचायत के चुनाव करा लिए जाएं।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने अदालत को अवगत कराया कि राज्य सरकार आधार वर्ष के रूप में 2015 का पालन करने के लिए तैयार है। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा 15 मई निर्धारित की थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोहम्मद अल्ताफ मंसूर ने राज्य सरकार के 1995 को आधार वर्ष के रूप में पालन करने के फैसले की वैधता पर सवाल उठाया था और उसे सितंबर 2015 की अधिसूचना के खिलाफ बताया था।
लखनऊ पीठ ने 11 फरवरी को अपने आदेश में पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की अंतिम सूची पर रोक लगा दी थी, जिसमें राज्य सरकार ने वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानकर चुनाव क्षेत्रों का आरक्षण किया था।