इंदौर संगीत का घराना रहा है, उस्ताद अमीर खान साहब से लेकर लता मंगेशकर तक यहां हुए। उधर देवास में कुमार गंधर्व जैसे कबीर के निर्गुणी के लिए भी मालवा जाना जाता है। अपने ऐतिहासिक महत्व और कल्चर के लिए तो इंदौर और मालवा की अपनी एक जगह है ही, बावजूद इसके इंदौर में क्लासिकल म्यूजिक को लेकर जो उदासीनता नजर आती है, वो माथे पर एक शिकन की तरह महसूस होती है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंदौर म्यूजिक फेस्टिवल (आईएमएफ) की शुरुआत की गई थी। यह आयोजन इस बार अपने 5वें वर्ष में प्रवेश करेगा। इंदौर म्यूजिक फेस्टिवल के आयोजन का एक दूसरा प्रमुख कारण पंडित जसराज को याद करना है।
संगीत गुरुकुल की डायरेक्टर अदिति काले और गुरुकुल के संगीतज्ञ गौतम काले ने वेबदुनिया से चर्चा में यह बात कही।
दो दिवसीय होगी संगीत सभा
27 और 28 जनवरी को दो दिवसीय इंदौर म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन होने जा रहा है। लाभ मंडपम में होने वाली शास्त्रीय संगीत की इस सभा में इस बार शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान, पंडित राजन और साजन मिश्रा, मंजूशा पाटील, तबला वादक पंडित विजय घाटे, गायक गौतम काले, हारमोनियम वादक तन्मय देवचके, कथक कलाकार शीतल कोलवलकर शिरकत करेंगे।
कलाकार गौतम काले ने बताया कि पंडित जसराज उनके गुरु हैं। 28 जनवरी को पंडित जसराज का जन्मदिन आता है, वे चाहते थे कि पंडित जी के जन्मदिन को एक खास तरीके से सहेजने और इस दिन को मनाने के लिए इस तरह का फेस्टिवल शुरू किया जाए, इसलिए उन्होंने 27 और 28 जनवरी को म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन शुरू किया।
शुरुआत में चुनौती था आईएमएफ
अदिति काले ने बताया कि यह 5वां आयोजन होगा, प्रतिवर्ष यह आयोजन किया जाता है। इस बार यह इसलिए खास होगा, क्योंकि इस जन्मदिन पर पंडित जसराज 90 वर्ष के हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने जब इस फेस्टिवल की शुरुआत की थी तो यह कई स्तर पर हमारे लिए एक चुनौती था, लेकिन अब धीमे- धीमे सब ठीक हो गया है।
आईएमएफ क्यों है खास?
अपनी शास्त्रीय परंपरा की गायिकी और संस्कार में विशेष स्थान रखने वाला इंदौर म्यूजिक फेस्टिवल इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें अब तक हरीप्रसाद चौरसिया, बेगम परवीन सुल्ताना, पंडित विश्वमोहन भट्ट, मामे खां, साबरी ब्रदर्स, अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन इसमें अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। उस्ताद जाकीर हुसैन तो इसी आयोजन की वजह से 15 साल के अंतराल के बाद इंदौर आए थे।