Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं है यह महिला, उच्च न्यायालय ने दिया यह अहम फैसला

Advertiesment
हमें फॉलो करें Important decision of Chhattisgarh High Court regarding alimony

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बिलासपुर , सोमवार, 19 मई 2025 (22:27 IST)
Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा है कि व्यभिचार में रह रही महिला, जिसे इसी आधार पर तलाक दिया गया है, वह अपने अलग हुए पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं हो सकती। उच्च न्यायालय के सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालय ने पति की पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए कुटुंब न्यायालय के गुजारा भत्ता आदेश को निरस्त कर दिया है। उच्च न्यायालय ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग करने वाली पत्नी की याचिका भी खारिज कर दी है। उच्च न्यायालय में दोनों पक्षों ने उच्चतम न्यायालय के विभिन्न न्याय दृष्टांत का भी हवाला दिया।

उच्च न्यायालय के अधिकारियों का कहना है कि रायपुर निवासी याचिकाकर्ता एक युवक का 2019 में वहीं की युवती के साथ हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह हुआ था। विवाह के कुछ दिनों बाद पत्नी ने अपने पति पर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया तथा मार्च 2021 में ससुराल छोड़कर अपने मायके चली गई एवं भाई के घर रहने लगी।
बाद में पत्नी ने पति द्वारा क्रूरता और चरित्र पर संदेह करने के आधार पर कुटुंब न्यायालय में भरण-पोषण का वाद प्रस्तुत किया। अधिकारियों ने बताया कि पति ने कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की और जवाब दाखिल करते हुए आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का उसके छोटे भाई (देवर) के साथ अवैध संबंध है। पति ने यह भी कहा कि जब उसने आपत्ति की, तो पत्नी ने झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी दी।
 
कुटुंब न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद व्यभिचार के आधार पर पति के पक्ष में तलाक की डिक्री पारित की और पत्नी को राहत देते हुए उसे मासिक चार हजार रुपए भरण-पोषण देने का आदेश भी दिया। अधिकारियों ने बताया कि कुटुंब न्यायालय के आदेश के खिलाफ पति-पत्नी, दोनों ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग पुनरीक्षण याचिकाएं दाखिल की।
उन्होंने बताया कि पत्नी ने ‘डाटा एंट्री ऑपरेटर’ पति के वेतन और अन्य आय स्रोतों का हवाला देते हुए 20 हजार रुपए प्रतिमाह दिलाने की मांग की। पति ने अपनी याचिका में पत्नी के व्यभिचार में रहने के कारण कुटुंब न्यायालय के गुजारा भत्ता देने के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया। उच्च न्यायालय में दोनों पक्षों ने उच्चतम न्यायालय के विभिन्न न्याय दृष्टांत का भी हवाला दिया।
 
अधिकारियों ने बताया कि उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने फैसले में स्पष्ट किया कि आवेदक-पति के पक्ष में पारिवारिक न्यायालय द्वारा दी गई तलाक की डिक्री इस बात का पर्याप्त सबूत है कि आवेदक-पत्नी व्यभिचार में रह रही थी।
 
न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि जब एक बार ऐसी डिक्री लागू हो जाती है, तो इस न्यायालय के लिए दिवानी न्यायालय द्वारा दी गई डिक्री के विपरीत कोई अलग दृष्टिकोण अपनाना संभव नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय द्वारा दी गई डिक्री स्पष्ट रूप से यह साबित करती है कि आवेदक-पत्नी व्यभिचार में रह रही है और इस प्रकार, आवेदक-पत्नी याचिकाकर्ता पति से भरण-पोषण का दावा करने के लिए अयोग्य है।
अधिकारियों के अनुसार उच्च न्यायालय ने पति की पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए कुटुंब न्यायालय के गुजारा भत्ता आदेश को निरस्त कर दिया है। उच्च न्यायालय ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग करने वाली पत्नी की याचिका भी खारिज कर दी।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह बने जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष, प्रशांत किशोर ने किया ऐलान