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स्वच्छता में नंबर 1 इंदौर 'मानवता' के मामले में शर्मसार

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वृजेन्द्रसिंह झाला

, बुधवार, 7 अप्रैल 2021 (15:56 IST)
इंदौर। शहर में दो पुलिसकर्मियों द्वारा एक व्यक्ति को चौराहे पर पीटे जाने की घटना ने तूल पकड़ लिया। इस घटना ने न सिर्फ मानवता को कलंकित किया है बल्कि पूरे स्वच्छता में नंबर 1 का तमगा हासिल करने वाले शहर की छवि को भी 'धूमिल' किया है। देशभर में इस घटना की चर्चा है, वहीं जिम्मेदार व्यक्ति अपने बचाव में नए-नए तर्क भी गढ़ रहे हैं। दूसरी ओर, मास्क को लेकर निगम कर्मचारियों की कार्रवाई को लेकर भी शहरवासियों में काफी आक्रोश है। पीड़ित का आरोप है कि उसका मास्क नीचे खिसक गया था इसलिए पीटा गया, जबकि पुलिसकर्मियों का कहना है कि उसने गाली-गलौज थी। 
 
हम संवेदनहीन हो गए हैं : वरिष्ठ अभिभाषक और समाजसेवी अनिल त्रिवेदी कहते हैं कि हाल ही में इंदौर में जो कुछ भी घटनाक्रम हम प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से देख रहे हैं। यह इस बात की तरफ हमें सोचने के लिए ले जाता है कि हम लोग संवेदनहीन हो गए हैं। मानवीय संवेदनाओं को समझकर न तो राजकाज चलाना चाहते हैं न ही समाज को चलाना चाहते हैं। एक तरफ हम कानून के पालन की बात करते हैं, दूसरी तरफ मनमानी भी करते हैं। यह भी कहा जाता है कि कानून का अक्षरश: पालन नहीं हो सकता है।
 
त्रिवेदी कहते हैं कि अपनी कमियों को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता। चाहे व्यवस्था और चाहे अव्यवस्था हो। मनमानी, अव्यवस्था सबके अपने-अपने तर्क हैं। वे कहते हैं कि किसी भी मनुष्य को दूसरे मनुष्य के खिलाफ मारपीट, हिंसा, अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन, कोई जितना ताकतवर है, उतनी ही मनमानी भी कर सकता है।
 
73 साल का लोकतंत्र होने के बाद भी हमारे पास न लोकतांत्रिक समाज है, न लोकतांत्रिक व्यवस्था है। नियमित चुनाव होना और चुनी हुई सरकार होना ही लोकतांत्रिक संस्कार नहीं हैं। कानून तो यह कहता है कि अपराधी से अपराधी मनुष्य को भी कानून के रखवाले छू नहीं सकते, मार नहीं सकते, पीट नहीं सकते। दंड देने का अधिकार सिर्फ न्यायपालिका का है।
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लोगों का मूकदर्शक रहना भी गलत : दरअसल, प्रशासकों का जो अभी रवैया है वहां नागरिकों की कोई हैसियत नहीं है। प्रशासकों का यह कहना कि व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों को गाली बकी थी, यह आपका डिफेंस नहीं हो सकता है। गाली बकी है तो केस बनाओ, न्यायपालिका के पास जाओ। प्रशासक ही न्यायपालिका का काम करने लग गए हैं। दुखद बात यह है कि घटना घट जाने के बाद हल्ला करने वाले लोग घटना के समय मूकदर्शक बने रहते हैं और घटना को रोकने की कोशिश नहीं करते हैं। यह समय एक दूसरे की गलती निकालने का नहीं है। हम सबको समझना चाहिए कि हम मधुमक्खी के छत्ती में फंसे हैं, बाहर निकलेंगे तो काटेगी ही। बेहतर है कि अपनी सुरक्षा का दोषारोपण करने के बजाय शांत और सुरक्षित अपने घरों में रहें।
 
बहुत ही शर्मनाक घटना : हाईकोर्ट एडवोकेट मनोहर सिंह चौहान का कहना है कि पुलिसकर्मियों द्वारा चौराहे पर एक व्यक्ति को पीटने की घटना बहुत ही शर्मनाक है। स्वच्छता में नंबर वन कहे जाने इंदौर को इस घटना ने पूरे देश में शर्मसार किया है। वे कहते हैं कि बड़ा मार्मिक दृश्य था जब एक छोटा बच्चा अपने पिता को छोड़ने के लिए मिन्नतें कर रहा था, लेकिन फिर भी उसे बेरहमी से पीटा गया। 
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चौहान कहते हैं कि खानापूर्ति के लिए पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है। यदि ऐसा नहीं करते तो उच्च अधिकारियों पर भी घटना की आंच आती। वे कहते हैं कि आरोपी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए। वहां मौजूद लोगों को गवाह के रूप में पेश कर इस मामले में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने घटना के समय मूकदर्शक बने लोगों की भी आलोचना की। साथ ही नगर निगम कर्मचारियों द्वारा की जा रही वसूली के लिए निगम को भी आड़े हाथों लिया। 
 
निगम ‍कर्मियों की अवैध वसूली भी गलत : नगर निगम के ही एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यदि नियम का पालन नहीं कर रहा है तो चालान जरूर बनाना चाहिए, लेकिन किसी भी व्यक्ति के साथ बदतमीजी या मारपीट पूरी तरह अनुचित है। वे कहते हैं कि कई बार व्यक्ति का मास्क ढीला हो जाता है, उसमें उसका कोई दोष नहीं होता। हर समय व्यक्ति गलत नहीं होता। वे कहते हैं कि इस तरह के लोग सड़क पर ही नहीं कार्यालय में ही इसी तरह की हरकतें करते हैं। दरअसल, अवैध वसूली इनकी आदत में शुमार हो गई है। 
 
समाजसेवी प्रेमचंद दुबे कहते हैं कि नगर निगम के कर्मचारी एवं अधिकारी जिस प्रकार से मास्क के नाम पर खुले आम गुंडागर्दी कर रहे हैं और गरीब तबके के कामगार और ऑटो वाले और दिहाड़ी मजदूरों के चालान बना रहे हैं। ये एक शर्मनाक वाकया है। पहले तो इन लोगों ने दुकानदार और व्यापारी वर्गों को निशाना बनाया और कई होटल व दुकानों में घुसकर समान की अफरा-तफरी की और चालान बनाने के आड़ में ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी। दूसरी ओर, निगम के कर्मचारी ही पूरे दिन में ड्यूटी के दौरान ही बिना मास्क लगाए जीप में बैठे दिख जाएंगे। अब तो हर दुकानदार इनसे खौफ खाने लगा है। 

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