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इच्छाशक्ति और योग के दम पर 16 साल काट सकीं इरोम शर्मिला

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इंफाल , बुधवार, 10 अगस्त 2016 (14:20 IST)
इंफाल। पूरे 16 साल तक की भूख हड़ताल के बाद भी मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम शर्मिला की अच्छी सेहत का राज उनकी इच्छाशक्ति और रोजाना योगाभ्यास करने में छिपा है। इस भूख हड़ताल के दौरान उन्हें नाक से जबरन तरल भोजन दिया जाता था।
 
शर्मिला के सहयोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार शर्मिला ने 1998 में योग सीखा था। इसके 2 साल बाद वे भूख हड़ताल पर बैठ गई थीं। यह भूख हड़ताल मंगलवार को खत्म हो गई।
 
शर्मिला के भाई इरोम सिंहजीत ने बताया कि यह उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और रोजाना योगाभ्यास की आदत ही है जिसने उन्हें शारीरिक रूप से फिट रखा है। 90 के दशक में युवती रहीं शर्मिला को प्राकृतिक चिकित्सा के विषय ने बहुत प्रभावित किया। उन्होंने इससे जुड़ा कोर्स शुरू किया। इसमें प्राकृतिक उपचार के माध्यम के रूप में योग भी शामिल था।
 
शर्मिला ने अपनी जीवनीकार दीप्ति प्रिया महरोत्रा को किताब ‘बर्निंग ब्राइट’ के लिए बताया था कि योग फुटबॉल की तरह नहीं है, यह अलग है। यदि कोई व्यक्ति योग करता है तो यह उसे लंबा जीवन जीने में मदद कर सकता है। योग करके आप 100 साल तक जी सकते हैं। यह फुटबॉल जैसे अन्य खेलों के जैसा नहीं है। 
 
उन्होंने याद किया कि उन्होंने 1998-99 में योगासन करने शुरू कर दिए थे और तब से वे हर रोज इसे करती आ रही हैं।
 
शर्मिला को प्रकृति के करीब बताने वाली इस किताब में कहा गया है कि वे योग और टहलने के जरिए अपने शरीर के साथ लगातार प्रयोग करती रहती थीं। चूंकि उनकी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को आत्महत्या करने की कोशिश के रूप देखा जाता रहा इसलिए उन्हें पुलिस की हिरासत में रहना पड़ा। आत्महत्या की कोशिश को एक दंडनीय अपराध माना जाता रहा है। 
 
शर्मिला को पिछले 16 साल का लगभग पूरा समय यहां स्थित जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज हॉस्पिटल में बिताना पड़ा। शर्मिला को नाक के जरिए पेट तक पहुंचने वाली नली के जरिए जबरन तरल आहार दिया जाता था। यह आहार उबले चावल, दाल और सब्जियों से बना होता था।
 
विचाराधीन कैदी होने के नाते अपने अनशन के दौरान शर्मिला ने एकाकी जीवन बिताया। उनसे मिलने कभी-कभार ही लोग आते थे। (भाषा)


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