देहरादून। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा, पर्याप्त व्यवस्था मुकम्मल न होने के चलते केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। चारधाम की यात्रा पर आए करीब 28 लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। चारधाम क्षेत्रों में लगातार हो रहीं मौतों के बाद केंद्र सरकार ने चारों धामों में आईटीबीपी और एनडीआरएफ तैनात करने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान समय में अभी तक 3 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं तो वहीं 10 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर आने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने बताया कि केंद्र सरकार ने चारधामों में आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीम में तैनात करने के निर्देश दिए हैं लिहाजा अगर जरूरत पड़ी तो यात्रियों की जानमाल की सुरक्षा के दृष्टिगत आर्मी की मेडिकल टीमों को भी तैनात किया जा सकता है। सही कहा कि सरकार की तमाम व्यवस्थाएं मुकम्मल हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें जगह-जगह पर तैनात की गई हैं।
उत्तरकाशी जिले में गुरुवार की सुबह 10.30 बजे यमुनोत्री हाईवे पर किसाला के पास मलबा आने से यमुनोत्री हाईवे ढाई घंटे तक बाधित रहा। इसके चलते यमुनोत्री धाम जाने वाले तीर्थयात्री जाम में फंसे रहे। बुधवार को भी देर शाम करीब 8.45 बजे बारिश के कारण यमुनोत्री हाईवे पर किसाला के भारी मात्रा में पहाड़ से मिट्टी व पत्थर आ गिरे थे। जिस कारण हाईवे पर यातायात ठप हो गया। इस बीच हाईवे के दोनों ओर कई वाहन फंसे रहे।
एनएच के अधिकारियों को सूचना मिलने पर विभागीय जेसीबी और मजदूर मौके पर हाईवे खोलने पहुंचे। बारिश के बीच 1 घंटे की मशक्कत के बाद हाईवे को यातायात के लिए खोल दिया गया। एनएच बड़कोट के अधिशासी अभियंता राजेश पंत के अनुसार गुरुवार की सुबह भी किसाला में फिर मलबा आया और इस कारण कुछ देर यात्रा बाधित रही। गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा निर्बाध रूप से जारी है।
उत्तरकाशी जिले के दोनों धामों में बुधवार तक 1 लाख 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मां गंगा व यमुना के दर्शन कर वापस लौट चुके हैं जबकि चारों धामों में पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बुधवार तक 3,06,811 पहुंच चुकी थी। खुलने से लेकर अब तक गंगोत्री धाम में जहां 68,609 श्रद्धालु दर्शन कर लौटे, वहीं यमुनोत्री धाम में 57,338 यात्री मां यमुना के दर्शन कर वापस लौट चुके हैं। दोनों धामों में अब तक 1,25,948 यात्री दर्शन कर चुके हैं।
यमुनोत्री धाम में डंडी-कंडी और घोड़े-खच्चर मालिकों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया वसूलने की शिकायत के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। डीएम अभिषेक रुहेला ने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी से ऐसे संचालकों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं। निर्धारित दर के अनुसार ही यात्रियों से किराया लेने को कहा है अन्यथा चालान की कार्रवाई अमल में लाने के निर्देश जारी किए हैं।
डीएम ने जानकी चट्टी व यमुनोत्री पैदल मार्ग में आवश्यकता के अनुरूप अतिरिक्त सफाईकर्मी शीघ्र तैनात करने को कहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि ज्यादा भीड़ वाले स्थानों व यमुनोत्री पैदल मार्ग पर प्रत्येक 3 घंटे के अंतराल में सफाई कराना सुनिश्चित करें।
बद्रीनाथ में इंतजामों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र
बद्रीनाथ में पानी के अभाव को लेकर ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी को पत्र प्रेषित किया है। दो साल बाद यात्रियों की भीड़ है मगर इंतजामात शून्य हैं।
एक एक बाल्टी पानी को लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है। जलसंस्थान जो कि पानी की वितरण व्यवस्था के लिए जिम्मेदार है ने हाथ खड़े कर दिए हैं। बड़े बड़े होटलों में भी पानी के अभाव से तीर्थ यात्रियों का टिकना मुश्किल है। बद्रीनाथ महायोजना के कार्य के दौरान पुराने निर्माण ध्वस्त किए जाने से हो रही खोद खाद से यह दिक्कत हुई की तमाम पाइप लाइनें ध्वस्त हो गई।
जगह-जगह से टूट चुकीं पेयजल लाइन को पुनः ठीक करना अब कठिन हो रहा है। पेयजल वितरण के लिए जिम्मेदार विभाग जल संस्थान के पास स्टाफ ही इतना कम है कि वे चाहते हुए भी व्यवस्था बना नहीं पा रहा। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा बदरीनाथ नगर भ्रमण के दौरान उन्होंने स्वयं देखा कि तप्त कुंड के आसपास जहां श्रद्धालु पूजन एवं सफल आदि कार्य करते हैं।
वहां मलबा पड़ा होने के कारण परेशानी आ रही है। इसके अलावा ब्रह्मकपाल तीर्थ, जहां श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान तर्पण करते हैं वहां भी अनियोजित निर्माण किया जा रहा है। इससे तीर्थ पुरोहितों एवं यात्रियों को दिक्कत हो रही हैं।
उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि बद्रीनाथ में किए जा रहे विकास कार्यों में स्थानीय लोगों एवं पंडा पुरोहितों को विश्वास में लेकर कार्य किया जाना चाहिए। निर्माण के दौरान पौराणिक मंदिर एवं पवित्र जलधाराओं के संरक्षण का भी उल्लेख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया है। अनादि काल से परंपरागत चार धाम यात्रा संचालित करने वाले तीर्थ पुरोहितों एवं पंडा समाज को साथ लेकर यात्रा प्रबंधन किए जाने की बात भी उन्होंने अपने पत्र में कही है।