झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पते ठिकाने को लेकर बने असमंजस के बीच रांची में आधिकारिक आवास पहुंचे और जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी विधायकों के साथ बैठक की। मीडिया खबरों के मुताबिक सोरेन पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा की। मीडिया खबरों के मुताबिक बैठक में 4 विधायक नहीं आ सके। मीडिया खबरों के मुताबिक सभी विधायकों से हस्ताक्षर करवाए गए।
भाजपा और झामुमो में वाकयुद्ध : दूसरी ओर ईडी की कार्रवाई को लेकर उनकी पार्टी झामुमो और भाजपा के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया। ईडी धनशोधन के मामले में बुधवार को सोरेन से पूछताछ करेगी।
ईडी के एक दल ने सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन से पूछताछ के लिए उनके दिल्ली स्थित आवास पर छापा मारा था। हालांकि अधिकारियों ने दावा किया था कि उनका कुछ “अता-पता नहीं” था।
सड़क मार्ग से रांची पहुंचे : सोरेन (48) के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह सड़क मार्ग से 1,250 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके दिल्ली से रांची पहुंचे। उन्होंने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद रांची में संवाददाताओं से कहा कि मैं आपके दिलों में रहता हूं। वे अपनी अनुपस्थिति के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम सभी राष्ट्रपिता के पदचिन्हों और विचारधाराओं का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें गर्व है कि ऐसे लोग हमारे बीच पैदा हुए और हमारा मार्गदर्शन किया।
सूत्रों के मुताबिक सोरेन ने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री आवास पर गठबंधन के विधायकों की बैठक की। सोरेन के कार्यालय द्वारा एक्स पर साझा की गई तस्वीरों और वीडियो में विधायक और मंत्री बैठक में भाग लेने से पहले मुख्यमंत्री का अभिवादन करते दिख रहे हैं। बैठक में सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं।
इससे पहले, राज्य में "बिगड़ती कानून-व्यवस्था" पर निरंतर नाराजगी व्यक्त करने वाले राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने स्थिति का जायजा लेने के लिए मुख्य सचिव लालबियाक्तलुआंगा खियांग्ते और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अजय कुमार सिंह को राजभवन में बुलाया।
डीजीपी से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य भर में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है और 7,000 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री आवास, राजभवन और प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय सहित रांची के प्रमुख इलाकों में पूर्वाह्न 10 बजे से रात 10 बजे तक निषेधाज्ञा लागू की गई है।
राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन 27 जनवरी की रात राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हुए थे, जबकि राज्य में उनके निर्धारित सरकारी कार्यक्रम बिना किसी स्पष्टीकरण के रद्द कर दिए गए थे।
राजनीति एजेंडे से प्रेरित : रविवार को जांच एजेंसी को भेजे गए एक ईमेल में, सोरेन ने आरोप लगाया था कि ईडी की कार्रवाई राज्य सरकार के कामकाज को बाधित करने के लिए "राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित" थी।
उन्होंने दावा किया था कि 31 जनवरी या उससे पहले उनका बयान फिर से दर्ज करने का आग्रह "दुर्भावनापूर्ण" है। सोरेन ने ईमेल में कहा, “(20 जनवरी को) सात घंटे हुई पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग अदालत को उपलब्ध कराने के लिए सुरक्षित रखें। उन्होंने 31 जनवरी को रांची में अपना बयान दर्ज कराने पर भी सहमति जताई थी।
संघीय एजेंसी ने 20 जनवरी को सोरेन से पूछताछ की थी और बाद में एक नया समन जारी कर 29 या 31 जनवरी को पूछताछ के लिए उनकी उपलब्धता की पुष्टि करने को कहा था। निषेधाज्ञा के तहत इन क्षेत्रों में और इनके आसपास प्रदर्शन, रैलियां या बैठकें आयोजित नहीं की जा सकेंगी।
झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी विधायकों को राज्य की राजधानी नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है।
ईडी की एक टीम ने झारखंड में एक कथित भूमि सौदे से जुड़े धनशोधन मामले में सोरेन से पूछताछ करने के लिए सोमवार को उनके दिल्ली स्थित आवास पर छापा मारा था और लगभग 13 घंटे तक वहां डेरा डाले रखा था, जिसके बाद नाटकीय घटनाक्रम शुरू हो गया था।
ईडी ने छापेमारी के दौरान 36 लाख रुपये, एक वाहन और अपराध में इस्तेमाल किए गए कुछ दस्तावेज बरामद करने का दावा किया था।
सोरेन के पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख शिबू सोरेन ने साल 2009 में अपने बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की मृत्यु के बाद पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए हेमंत को तैयार किया था। हेमंत सोरेन अब तक की संभवतः सबसे कठिन परीक्षा का सामना कर रहे हैं।
रांची लौटने के बाद पहली बार मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "मैं आपके दिलों में रहता हूं।" आगे की रणनीति तैयार करने के लिए अपने घर पर विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद, सोरेन महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एक स्थानीय पार्क, बापू वाटिका गए।
सोरेन ने ईडी के समन को राज्य सरकार के कामकाज को बाधित करने के लिए "राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित" कदम बताया।
बुधवार दोपहर एक बजे अपने रांची स्थित आवास पर ईडी अधिकारियों के सामने बयान दर्ज कराने पर सहमति जताने वाले सोरेन ने दावा किया कि कथित भूमि धोखाधड़ी मामले के संबंध में उनका बयान दर्ज करने की केंद्रीय एजेंसी की जिद से दुर्भावना की बू आ रही है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के सोमवार को दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पहुंचने पर सवाल उठाया।
झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पूछा कि जब राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय को अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था, तो वे कल दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास पर क्यों पहुंचे?
उन्होंने कहा कि क्या यह ईडी और बाबूलाल (मरांडी) जी द्वारा योजनाबद्ध नहीं था? वे उनके साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार कर रहे हैं, लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि हमारे मुख्यमंत्री किसी से नहीं डरते। बाबूलाल मरांडी झारखंड भाजपा अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं।
संवैधानिक संकट : दूसरी ओर मरांडी ने दावा किया कि सोरेन के अचानक गायब होने से राज्य में संवैधानिक संकट जैसी स्थिति पैदा हो गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बारे में जानकारी देने वाले को अपनी तरफ से 11,000 रुपए का इनाम देने की भी घोषणा की और एक्स पर मुख्यमंत्री की गुमशुदगी का पोस्टर भी साझा किया।
प्रवर्तन निदेशालय कथित भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में बुधवार को रांची में सोरेन से पूछताछ करेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि ईडी ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोरेन के आवास पर छापेमारी के दौरान 36 लाख रुपये, एक बीएमडब्ल्यू कार और अपराध में इस्तेमाल हुए कुछ दस्तावेज जब्त किए थे।
इस बीच, सोरेन के पता-ठिकाने को लेकर संशय के बाद मंगलवार को उनके यहां अपने आवास लौटने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच वाकयुद्ध हुआ।
कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि भाजपा की ईडी, दिल्ली पुलिस और आईबी मिलकर भी मुख्यमंत्री का पता नहीं लगा सकी। यह पूरी तरह से (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह की विफलता है। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमने उनसे उनके आवास पर मुलाकात की। यह भाजपा की अफवाह मशीनरी के चेहरे पर एक जोरदार तमाचा है।
राज्य के मंत्री और झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा द्वारा फैलायी गयी अफवाहों का लोगों पर कोई असर नहीं होगा। भाजपा की झारखंड इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर लिखा, '28 जनवरी की देर रात अपने दिल्ली स्थित आवास से पैदल भागे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लगभग 40 घंटे बाद सुरक्षित रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास लौटने से लोगों ने राहत की सांस ली।'
मरांडी ने कहा कि दिल्ली के बारे में भूल जाइए, ऐसा लगता है कि हेमंत जी निकट भविष्य में सड़क या हवाई मार्ग से तो दूर, झारखंड की सीमा पार कहीं भी जाने के बारे में सपने में भी नहीं सोचेंगे।
कांग्रेस की झारखंड इकाई के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि यह पहला मौका है जब एक मुख्यमंत्री के पते-ठिकाने के बारे में सवाल पूछा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वे जन नेता है और जनता के साथ हैं। यह भाजपा है जो कि अफवाह फैला रही है और संशय पैदा कर रही है।'
सोरेन के आवास से ईडी द्वारा बरामद नकदी का उल्लेख करते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आश्चर्य जताया कि क्या मुख्यमंत्री '50 घंटे लापता रहकर' अपने करोड़ों रुपये छिपा रहे हैं।
सोरेन पर कटाक्ष करते हुए भाजपा सांसद ने दावा किया कि उनके पिता शिबू सोरेन भी केंद्रीय मंत्री रहते हुए 21 दिनों तक लापता हो गए थे और अब पुत्र ने भी उनके इस तरह के गुणों को अपना लिया है।
वहीं झामुमो ने कहा कि वह सोरेन की अनुपस्थिति को लेकर उनको बदनाम करने के लिए मरांडी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराएगी।
झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने निशिकांत दुबे की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसी तरह का मामला भाजपा के एक सांसद के खिलाफ भी दर्ज कराया जाएगा जो "अक्सर ट्वीट" करते हैं।
भाजपा ने इसपर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल निश्चित रूप से अदालत का रुख कर सकता है लेकिन उसका मामला न्यायिक जांच में टिक नहीं पाएगा।
भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि राज्य का मुखिया होता है। लेकिन, जिस तरह से भाजपा ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं, वह सीआरपीसी की धारा 499 (मानहानि) के तहत अपराध है। हम जल्द ही (भाजपा प्रदेश)अध्यक्ष और अक्सर ट्वीट करने वाले एक विपक्षी सांसद के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर करेंगे।
कानूनी कार्रवाई करने की झामुमो की चेतावनी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने कहा कि भाजपा ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है जिसके लिए मानहानि की धाराओं के तहत मुकदमा दायर किया जा सके।
सिंह ने कहा कि अगर वे (झामुमो) अदालत जाना चाहते हैं, तो जा सकते हैं। लेकिन मामला न्यायिक जांच में टिक नहीं पाएगा। राजनीति में, लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं। सच्चाई यह है कि वे (झामुमो) डरे हुए और हताश हैं। भाषा Edited By : Sudhir Sharma