छत्तीसगढ़ के इलाके में सुरेन्द्र कुमार और उसकी बहन राजेश्वरी का वन्य प्राणियों से गहरा नाता है। उन्हें अक्सर ही बंदरों के साथ खेलते देखा जा सकता है। दोनों ही एक गरीब परिवार के बच्चे हैं और मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं।
आइए वास्तविक जीवन के इन मोगलियों के बारे में जानें।
सुरेन्द्र कुमार और उसकी बहन राजेश्वरी छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव के जंगलों में घूमते रहते हैं। वे अपने दिनों का ज्यादातर समय जंगल में बिताते हैं और बंदरों के साथ खेलते हैं। वे जंगली जानवरों से भी भयभीत नहीं होते हैं और बेरोकटोक वहां पर घूमते रहते हैं।
राजेश्वरी से मिलें। राज्य के सरकारी चीफ मेडिकल आफिसर का कहना है कि वे मानसिक विकारों से पीडि़त हैं और उनके दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं। उनकी मां पांचो बाई को उन्हें खोने का डर सताता रहता है, और विशेष रूप से सुरेन्द्र का जो कि जंगली जानवरों के बहुत करीब चला जाता है।
दोनों की तुलना ' द जंगल बुक' के 'मोगली' से अक्सर की जाती है। वे सामान्य रूप से जंगल में घूमते-फिरते हैं और उन्हें वापस बुलाने के लिए उनकी मां को पुकारना पड़ता है। उनकी मां पांचोबाई एक सफाई कर्मी है और उसे प्रतिदिन 160 रुपए का पारिश्रमिक मिलता है।