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रीवा कमिश्नर डॉ. अशोक भार्गव ने विशिष्ट अंदाज में की मतदान करने की अपील

हमें फॉलो करें रीवा कमिश्नर डॉ. अशोक भार्गव ने विशिष्ट अंदाज में की मतदान करने की अपील
, सोमवार, 22 अप्रैल 2019 (01:12 IST)
रीवा। इंदौर की आबोहवा में पले-बढ़े और अभाव में रहकर कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले डॉ. अशोक भार्गव आज रीवा के कमीश्नर की कुर्सी को सुशोभित कर रहे हैं। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में स्कूल और कॉलेज में अनेकों पुरस्कार जीतने वाले डॉ. भार्गव की लोकसभा चुनाव में मतदान को लेकर की गई अपील काफी सुर्खियों में है। विशिष्ट अंदाज सामने आए इस वीडियो में उन्होंने क्या संबोधन दिया, आप भी पढ़िए...
 
लोकतंत्र एक शैली है जीवन जीने की। एक विधि है, दर्शन है। चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है और सभी मतदाता उस लोकतंत्र के प्राण हैं। इसलिए लोकतंत्र में चुनाव वे लोक आस्था और लोक निष्ठा के प्रतीक होते हैं और सही अर्थों में लोकतंत्र का जो अनुष्ठान है, वो चुनाव होता है, जो एक महापर्व के रूप में निकट भविष्य में आ रहा है।
 
भारतीय संविधान ने हमें वोट देने की अद्भुत शक्ति दी है, एक मूल्यवान अधिकार दिया है, जिसका हमें हरसंभव परिस्थितियों में उपयोग करना चाहिए। मतदाता अपने वोट के अधिकार पर अपनी पसंद के जनप्रतिनिधि को चुनता है लेकिन अधिकांश मतदाता मतदान को लेकर उदासीन होते हैं और वे मतदान न करके लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करते हैं।
 
हम बड़े सौभाग्यशाली हैं कि हमें संविधान ने जो वोट देने की ताकत दी है, वो हमारी निर्णायक शक्ति है और उस निर्णायक शक्ति के आधार पर हमारे मतदाता लोकतंत्र के भाग्य विधाता बनते हैं।
 
मैं समस्त मतदाताओं से यह विनम्र अनुरोध करता चाहता हूं, अपील करना चाहता हूं कि आगामी मतदान के दिन वे अपने मताधिकार का प्रयोग करें, क्योंकि सं‍विधान ने प्रत्येक व्यक्त‍ि की गरिमा का सम्मान किया है। प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को वोट देने की ताकत बिना किसी भेदभाव के दी है और प्रत्येक मतदाता के वोट का जो मूल्य है, वो समान है, बराबर है।
 
मतदान केंद्र पर मतदाताओं के लिए सुगम-सहज मतदान करने की आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। सभी मतदाताओं से मेरा ये पुन: विनम्र अनुरोध है कि वे मतदान करते वक्त बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी प्रलोभन से प्रभावित हुए, बिना किसी धर्म-जाति, भाष का भेदभाव किए, अपनी बुद्धि का उपयोग कर नैतिक रूप से मतदान करें, क्योंकि जम्हूरियत वह तर्जे-हुकूमत है कि जिसमें बंदों को तौला नहीं, गिना करते हैं अर्थात लोकतंत्र में जो चुनाव होते हैं, उसमें मतों की जो गणना होती है, वो बड़ी महत्वपूर्ण होती है। एक-एक वोट से हार-जीत होती है।
 
प्रत्येक मतदाता का यह संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व है कि वो उसे जो मताधिकार मिला है, उसका हरसंभव परिस्थिति में उपयोग करे और मतदान के महत्व को समझे, समझाए औरों को भी मतदान करने के लिए अपने मित्रों, रिश्तेदारों को प्रेरित करे, प्रोत्साहित करे ताकि हम लोकतंत्र की जो बुनियाद है, उसे मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका अदा कर सकें।

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