उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के मंगलायतन विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग व शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जैन अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया है। विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्राप्त होने से प्राध्यापकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों ने आयोग के इस निर्णय का स्वागत करते हुए खुशी जाहिर की।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित मंगलायतन विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग व शिक्षा मंत्रालय द्वारा जैन अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया है। विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्राप्त होने पर प्राध्यापकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों ने आयोग के इस निर्णय का स्वागत करते हुए खुशी जाहिर की।
मंगलायतन विश्वविद्यालय जैन अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्रदान किए जाने पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के सचिव मनोज कुमार केजरीवाल ने विश्वविद्यालय को प्रमाण पत्र निर्गत किया है। संस्थान में जैन समाज के हितों का खास ख्याल रखा जाता है।
विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा व संस्कारों की ओर अग्रसर करना : कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करने पर विश्वविद्यालय को अब तक अनेकों उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं। कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह व परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा ने कहा कि विवि का उद्देश्य विद्यार्थियों के मस्तिष्क में सामंजस्य की भावना स्थापित करने के साथ उन्हें उच्च शिक्षा व संस्कारों की ओर अग्रसर करना है।
2006 में हुई विश्वविद्यालय की स्थापना : मंगलायतन विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। इसी समय से विश्वविद्यालय का प्रयास था कि मंगलायतन विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा प्राप्त हो जाए। इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षा मंत्रालय को फाइल भेजी गई। 2021 में मंत्रालय को दोबारा फाइल भेजी गई। मंत्रालय ने इसका संज्ञान लिया और इस बार विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा प्राप्त हो गया।
छात्रों को मिलेगा लाभ : विश्वविद्यालय में जैन समाज के विद्यार्थियों को पहले से ही छात्रवृति दी जा रही है। पर अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा दर्जा प्राप्त होने से और भी बेहतर सुवधाएं मिलेंगी। मसलन - अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए संवैधानिक आरक्षण से छूट दी गई है, जैसा कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किया जाना आवश्यक है। छात्रों के एडमिशन के मामले में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान अपने समुदाय के छात्रों को आरक्षण दे सकते हैं।