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शहीद चंद्रशेखर हरबोला 38 साल बाद पंचतत्व में विलीन, बेटियों ने दी मुखाग्नि

हमें फॉलो करें शहीद चंद्रशेखर हरबोला 38 साल बाद पंचतत्व में विलीन, बेटियों ने दी मुखाग्नि

एन. पांडेय

, गुरुवार, 18 अगस्त 2022 (08:26 IST)
हल्द्वानी। 38 साल बाद ऑपरेशन मेघदूत के दौरान सियाचिन ग्लेशियर में आए एवलांच में शहीद हुए सियाचिन के हीरो चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ बुधवार को हल्द्वानी के समीप रानी बाग स्थित चित्रशिला घाट में किया गया। उनकी दोनों बेटियों कविता और बबीता ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए सेना, प्रशासन और पुलिस के जवानों के साथ ही बड़ी संख्या में शहर के लोग घाट पर मौजूद रहे।
 
सीएम पुष्कर सिंह धामी,  कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य, गणेश जोशी और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी उनके परिजनों से मिलने पहुंचे।
 
इससे पहले सेना के जवान लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर हल्द्वानी के आर्मी हेलीपैड पर पहुंचा। यहां से पार्थिव शरीर को उनके आवास पर अंतिम दर्शनों के लिए उनके निवास पर ले जाया गया। जहां कई वीआईपी लोगों ने शहीद को याद करते हुए उन्हें नमन किया।
 
लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचते ही पूरा माहौल गमगीन सा हो गया, शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति देवी अपने पति के पार्थिव शरीर को देखकर बुरी तरह फफक पड़ी।
 
शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए उनके घर पहुंचे सीएम धामी ने लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। सीएम धामी ने कहा चंद्रशेखर हरबोला एक परिवार के नहीं पूरे देश के हैं उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सीख है। सैन्य धाम में भी उनकी स्मृतियों को संजोकर रखा जाएगा।
 
सैन्य सम्मान के साथ उनके निवास से निकली गई अंतिम यात्रा में भारत माता की जय, शहीद चंद्रशेखर हरबोला अमर रहे के नारे गूंजे।
 
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथी गुर बिंता निवासी 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांस नायक रहे चंद्रशेखर हरबोला 1975 में सेना में भर्ती हुए और 38 साल पहले वे ऑपरेशन मेघदूत में सियाचिन में शहीद हुए थे।
 
सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान बर्फीले तूफान में लापता शहीद चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद मिलने से उनके ही साथ अब तक दबे अन्य पांच साथी जवानों के परिजनों ने भी उनके परिजनों के शवों के खोज की भी उम्मीद भी जग गई है।
 
हल्द्वानी के ही ऑपरेशन मेघदूत में लापता हुए लांस नायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह के परिजनों ने सरकार से गुहार लगाई है कि इन  शहीदों के पार्थिव शरीर भी तलाश कर परिवार को सौंपे जाएं। दोनों लापता जवानों के परिवार वालों का कहना है कि लांसनायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह ऑपरेशन मेघदूत के समय चंद्रशेखर हरबोला के ही साथ थे। इन दोनों के परजनों ने मुख्यमंत्री से मिलकर उनके अपने परिजनों के शवों को भी ढूंढने की गुहार की।
 
शहीद दया किशन जोशी की पत्नी विमला जोशी ने बताया कि उनके पति भी 1984 के सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत में शामिल हुए थे। उनको मार्च में घर आना था, लेकिन वह नहीं आ पाये। एक साल तक उनका घर से कोई सम्पर्क न होने पर जब उनकी खोजबीन की गयी तो पता चला कि ऑपरेशन मेघदूत में वह बर्फ में दब गए। सेना ने उनके घर आकर उनको उनके पति का बक्सा जिसमें उनके सामान रखे हुए थे सौंप दिया।
 
सेना के अधिकारियों ने कहा कि वह बर्फ में दब जाने से उनकी बोडी मिलना संभव नहीं है इसलिए वे उनका अंतिम संस्कार कर दें। ऐसे ही हल्द्वानी के लाल डांट स्थित भट्ट कॉलोनी निवासी बच्ची देवी के सिपाही पति हयात सिंह का भी किस्सा उनकी पत्नी सुनाती हैं। हयात सिंह और दया किशन जोशी दोनों भी शहीद चंद्रशेखर हरबोला की ही तरह 19 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान थे।
 

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