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नाराज मायावती का राज्यसभा से इस्तीफा

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नई दिल्ली , मंगलवार, 18 जुलाई 2017 (19:15 IST)
नई दिल्ली। बसपा की अध्यक्ष मायावती ने सरकार पर दलितों की उपेक्षा करने और उन्हें इस संबंध में राज्यसभा में नहीं बोलने देने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
 
सुश्री मायावती ने सभापति हामिद अंसारी से संसद भवन में उनके कार्यालय में भेंटकर उन्हें अपने इस्तीफे का तीन पृष्ठ का पत्र सौंपा। इसके बाद सुश्री मायावती ने संसद भवन परिसर में कहा कि जब सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा है तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है।
 
इससे पहले उन्होंने सुबह राज्यसभा में दलितों पर अत्याचार की घटनाओं पर बोलने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अगर उन्हें अपनी बात नहीं रखने दी जाती है तो वह सदन से इस्तीफा दे देंगी। इसके बाद वह विरोध स्वरूप रोष में सदन से बाहर चली गयी थी। उन्होंने सदन में नियम 267 के तहत चर्चा शुरु करते हुए कहा था कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से भीड़ द्वारा हत्याएं किए जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं और अल्पसंख्यकों, पिछड़े, दलितों, किसानों और मजदूरों का दमन किया जा रहा है। भाजपा शासित राज्यों में भीड़ द्वारा हत्या के मामलों में इजाफा हो रहा है।
 
सुश्री मायावती ने इस्तीफे के पत्र में सदन की कार्यवाही का ब्योरा देते हुए कहा कि वह जब स्थगन के नोटिस पर बोलने के लिए उठीं तो उपसभापति ने उन्हें तीन मिनट में ही अपनी बात पूरी करने को कहा जबकि उनका कहना था कि तीन मिनट में इस मामले पर पूरी बात नहीं रखी जा सकती। सदन के नियमों में भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि स्थगन नोटिस पर सिर्फ तीन मिनट का समय मिलेगा। फिर भी उन्होंने अपनी बात रखनी शुरू की जिस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों के साथ-साथ कुछ मंत्री भी खडे होकर शोर शराबा करने लगे और लगातार व्यवधान डालते रहे।
 
बसपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने अपनी बात रखते हुए जब यह कहा कि सहारनपुर में दलित उत्पीड़न की घटना पर परदा डालने के लिए एक दलित संगठन का भी इस्तेमाल किया गया और उसे जातीय हिंसा का नाम दे दिया गया तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने और शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर उनकी पार्टी के सदस्यों तथा कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने उपसभापति से सत्तापक्ष के सदस्यों को बिठाने और सदन में शांति कायम करने का अनुरोध किया, लेकिन उपसभापति ने सत्तापक्ष के सदस्यों को शांत कराने की बजाय घंटी बजाकर तीन मिनट पूरे होने का हवाला देते हुए उन्हें ही अपनी बात समाप्त करने को कहा।
 
सुश्री मायावती ने कहा कि उन्होंने उपसभापति से कहा कि सहारनपुर का मामला कोई साधारण मामला नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी पूरी बात रखने दी जाए, लेकिन बार-बार के अनुरोध के बावजूद भी मौका नहीं दिया गया। (वार्ता)


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