श्रीनगर। कश्मीर में पढ़े-लिखे युवाओं का रुझान आतंकवाद की तरफ फिर से तेजी से बढ़ा है। कुछ दिनों पहले आईपीएस अधिकारी के भाई के आतंकी संगठन में शामिल होने के बाद अब एक और मामला सामने आया है। पुलवामा में इश्फाक अहमद वानी नामक एमबीए युवक ने कथित तौर पर आतंक का दामन थाम लिया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इश्फाक अहमद वानी एमबीए का छात्र रह चुका है और करीब एक हफ्ते से वह घर से लापता है। परिवारवालों ने इस मामले में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है। इश्फाक के घरवालों ने उससे आतंक का रास्ता छोड़ घर वापस लौट आने की अपील भी की है।
पिछले महीने घाटी में रहने वाले असम में तैनात एक आईपीएस अधिकारी का छोटा भाई आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था। आईपीएस अधिकारी के भाई की फोटो कश्मीर में वायरल हुई थी, जिसमें वह एके-47 लिए खड़ा था।
कश्मीर के शोपियां जिलांतर्गत हैदरपोरा निवासी मोहम्मद रफीक का 25 वर्षीय पुत्र समसुल हक मेंगनूई श्रीनगर के समीपवर्ती जाकुरा स्थित सरकारी मेडिकल कालेज में यूनानी चिकित्सा के स्नातक की पढ़ाई कर रहा था। बीते 22 मई से वह अचानक गायब हो गया था। इसके बाद कश्मीर पुलिस को पता चला था कि वह हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया है। इससे पहले इसी साल जनवरी में 26 वर्षीय मनन बशीर वानी कथित तौर पर हिज्बुल में शामिल हो गया था। वानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा था।
दरअसल, मुठभेड़ों में आतंकियों के मरने का आंकड़ा इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद घाटी के कई युवा आतंक की राह पर चल पड़े हैं। इसमें शिक्षित युवाओं की संख्या ज्यादा है। इस साल अब तक घाटी के 18 युवा कलम छोड़ बंदूक उठा चुके हैं। इन सभी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं।
सुरक्षा एजेंसियां पढ़े लिखे युवाओं का आतंकवाद में शामिल होना बड़ी चुनौती मान रही हैं। उनका कहना है कि कुछ ऐसे तत्व घाटी में सक्रिय हैं जो शिक्षित युवाओं को बहका रहे हैं। हालांकि, हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव ने श्रीनगर में हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक में राज्य सरकार को स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती रोकने के लिए प्रयासों में सहयोग का आश्वासन दिलाया है।
गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में 280 स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद का रास्ता अपनाते हुए हाथों में बंदूक उठा ली। वर्ष 2017 में 126, 2014 में 53, 2013 में 16, 2012 में 21, 2011 में 23 और 2010 में 54 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए।
हाल ही में वायरल तस्वीरों में आतंकी बने युवाओं ने संक्षेप में अपना बायोडाटा भी वायरल किया। तहरीके हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के आतंकी बने बेटे जुनैद अहमद सेहराई की वायरल तस्वीर इसका ताजा उदाहरण है। वह हिजबुल में शामिल हो गया। यहां तक कि आतंकी बनने की तिथि को भी अंकित किया। जुनैद कश्मीर यूनिवर्सिटी से एमबीए है।
श्रीनगर के फैज मुश्ताक वाजा और दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के रौफ बशीर खांड़े की हाल ही में इसी तरह से तस्वीर सामने आई। फैज की वायरल तस्वीर पर लश्कर-ए-तैयबा और रौफ की तस्वीर पर हिजबुल मुजाहिदीन लिखा था।
रौफ बीए फर्स्ट ईयर का छात्र था।
इस साल की शुरुआत में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का स्कॉलर मन्नान वानी हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। वह उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में रहने वाला है। ऐसा भी नहीं है कि 10 दिनों के भीतर दर्जनभर आतंकियों के मारे जाने की घटनाओं के बाद आतंकवाद की राह थामने का सिलसिला थम गया हो बल्कि यह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है जो सुरक्षा बलों के लिए चुनौती साबित होने लगा है।