नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की चकाचौंध के बीच मानसिक रूप से बीमार महिलाओं के साथ होने वाली यौन शोषण की घटनाओं के मामलों में आमतौर पर शिकायत दर्ज नहीं की जाती है। इसका मूल कारण है कि मानसिक रूप से बीमार ये महिलाएं अपना यौन शोषण करने वाले व्यक्ति की पहचान करने में असमर्थ रहती हैं।
यौन शोषण का शिकार हुईं महिलाओं के अनुसार इन मामलों में आरोपी व्यक्ति अपराध को अंजाम देने के बाद घटनास्थल से फरार हो जाते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि यौन शोषण अथवा बलात्कार का शिकार हुईं मानसिक रूप से बीमार इन महिलाओं को बच्चे को जन्म भी देना पड़ता है।
एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) ने पहचान गुप्त रखे जाने की शर्त पर कहा कि आपराधिक मानसिकता और पृष्ठभूमि वाले लोग आमतौर पर मानसिक रूप से बीमार इन महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं। इन मामलों में पीड़िता के मानसिक रूप से बीमार होने के कारण आरोपी के बच निकलने की संभावना अधिक होती है।
एनजीओ के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के एक अनाथालय में यौन शोषण का शिकार हुईं इन महिलाओं के कई बच्चे रहते हैं। एनजीओ के मुताबिक मानसिक रूप से बीमार ये महिलाएं अपने बच्चों की पहचान भी नहीं कर सकतीं।
एनजीओ ने बताया कि मानसिक रूप से बीमार इन महिलाओं को यौन अपराधों से बचाने के लिए राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने की जरूरत है। इसके अलावा महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की भी जरूरत है। (वार्ता)