उत्तराखंड में बद्रीनाथ नेशनल हाईवे मार्ग नंदप्रयाग-मैठाणा के ऑलवेदर रोड 50 से 80 मीटर तक धंस जाने के बाद इस प्रोजेक्ट की पोल खुल गई है। इस प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया गया था। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब ऑल वेदर रोड को नुकसान पहुंचा है, इससे पहले टिहरी और उत्तरकाशी में यह रोड क्षतिग्रस्त हो चुका है।
क्या है ऑल वेदर रोड : ऑल वेदर रोड से तात्पर्य ऐसे रोड से है, जो हर मौसम के अनुकूल हो और हर मौसम में खुली हो। यातायात में कोई दिक्कत न हो। हालांकि सरकारी नोटिफिकेशन में 'ऑल वेद रोड' का औपचारिक रूप से कोई उल्लेख नहीं है। यह रोड पहाड़ों के कटाव और पेड़ों की कटाई के चलते सरकार और एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के बीच भी विवाद का मुद्दा भी रहा है। यही कारण रहा कि यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा।
कब शुरू हुई यह परियोजना : चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना का शुभारंभ दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। तब उन्होंने कहा था कि इस योजना को 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। 889 किमी लम्बी ऑल वेदर रोड परियोजना की शुरुआत 2017 में हुई थी, लेकिन अब तक इस परियोजना का काम पूरा नहीं हो पाया है। अब इसके 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इस परियोजना के तहत उत्तराखंड की 889 किमी लंबी सड़कों को डबल लेन किया जाना है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा ऑल वेदर रोड परियोजना के कार्यों को कुल 53 भागों में बांटा गया था। इस परियोजना के लिए कुल 12 हजार करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर की गई थी।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चार धाम यात्रा को सुगम बनाना है क्योंकि बारिश के मौसम में भूस्खलन और भारी बारिश के कारण मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं, जिसके चलते श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हमेशा हादसों का भी डर बना रहता है। ऑल वेदर रोड पूरी होने के बाद इस तरह की मुश्किलों के खत्म होने का दावा किया जा रहा है।
परियोजना सवालों के घेरे में : नंदप्रयाग-मैठाणा रोड पर ऑल वेदर रोड के धंस जाने एवं इससे पहले भी ऑल वेदर रोड को हुए नुकसान की वजह से यह परियोजना सवालों के घेरे में है। न सिर्फ सड़क की क्वालिटी को लेकर जानकारों ने सवाल उठाए हैं, बल्कि इस भ्रष्टाचार को लेकर भी इस परियोजना पर सवाल उठाए जा रहे हैं।