भुवनेश्वर। 2019 में नवीन पटनायक की यह शानदार जीत साबित करती है कि चाहे कुछ भी हो जाए नवीन के सामने विपक्ष की रणनीति फेल है। ओडिशा में लोकसभा की 21 और विधानसभा की 147 सीट हैं। बीजू जनता दल ने 12 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को आठ और कांग्रेस को एक सीट मिली है, लेकिन राज्य विधानसभा चुनाव में बीजद को 112 सीटें मिली हैं, जबकि भाजपा को 23 और कांग्रेस को केवल नौ सीटों पर जीत मिली है।
ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे, लेकिन कई निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों ने देश और प्रदेश के मुद्दे को बिलकुल अलग-अलग रखते हुए संसदीय चुनाव में एक पार्टी के पक्ष में, तो वहीं विधानसभा चुनाव में दूसरी पार्टी के पक्ष में मतदान किया। 2019 में बीजेपी को 32.5 प्रतिशत वोट मिले हैं, यह आंकड़ा साफ करता है कि बीजू जनता दल का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है।
2019 में नवीन पटनायक की यह शानदार जीत साबित करती है कि चाहे कुछ भी हो जाए नवीन के सामने विपक्ष की रणनीति फेल है। ओडिशा में लोकसभा की 21 और विधानसभा की 147 सीट हैं। बीजू जनता दल ने 12 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को आठ और कांग्रेस को एक सीट मिली है, लेकिन राज्य विधानसभा चुनाव में बीजद को 112 सीटें मिली हैं, जबकि भाजपा को 23 और कांग्रेस को केवल नौ सीटों पर जीत मिली है।
प्रतिष्ठित भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाली पूर्व आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी को विभाजित वोटों का लाभ मिला। उन्होंने इस सीट पर अपने बीजद प्रतिद्वंद्वी व मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त अरूप पटनायक को 23,939 मतों से हराया, जबकि भुवनेश्वर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से किसी पर भी भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं जीत पाया।
भुवनेश्वर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में भुवनेश्वर-मध्य, भुवनेश्वर-उत्तर, एकाम्रा-भुवनेश्वर, जतनी, जयदेव, खुर्दा और बेगुनिया आती हैं। सारंगी को 4,86,991 मत (48.45 प्रतिशत) मिले, जबकि इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सातों विधानसभा सीटों पर खड़े सभी भाजपा प्रत्याशियों को कुल मिलाकर केवल 2,90,607 वोट यानी 29.3 फीसदी वोट ही मिले, जिसमें 19.15 फीसदी का अंतर है।
इसी तरह कोरापुट लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सप्तगिरि उल्लाका ने जीत दर्ज की, लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ज्यादातर सीटों पर बीजद ने जीत हासिल की। इसी तरह से बालासोर, बारागढ़, बोलंगीर, कालाहांडी, संबलपुर और सुंदरगढ़ लोकसभा क्षेत्रों में भी कमोबेश यही स्थिति रही।