इंदौर, वेबदुनिया। शब्दों से बढ़कर कोई हथियार नहीं। शब्दों से ही सवाल हैं। अगर हम सवाल नहीं करेंगे तो हमें कभी जवाब नहीं मिलेंगे। इसलिए सवाल किए जाना चाहिए। सवालों से बचने वाला समाज कभी प्रगति नहीं कर सकता।
पत्रकार एक ताकत है, उन्हें अपनी ताकत और अपनी शब्द शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए। पत्रकारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर वे साहस के साथ काम करे तो समाज में बदलाव आ सकता है।
स्टेट प्रेस क्लब द्वारा इंदौर के रविंद्र नाट्यगृह में आयोजित तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि जो समाज सवालों की मोमबत्ती या टॉर्च लेकर चलता है, वही आगे बढ़ता है। श्रीसत्यार्थी को सुनने के लिए सभागार में बडी संख्या में पत्रकार, लेखक, साहित्यकार और राजनीतिक शख्सियत उपस्थित थे।
अच्छे भविष्य के फैसले लेना चाहिए
कैलाश सत्यार्थी ने आगे कहा कि जो लोग निष्पक्ष और निर्भिक पत्रकारिता करते हैं, उन्हें अच्छे और महत्वपूर्ण फैसलें लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने अपने स्वयं के संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि मैं पत्रकार बनना चाहता था, इसलिए अखबारों में पत्र संपादक के नाम लिखा करता था। एक बार उन्होंने नईदुनिया को पत्र संपादक के नाम लिखा था तो दूसरे दिन देखा कि उनका पत्र संपादक के नाम संपादकीय पृष्ठ पर एक आलेख के तौर पर प्रकाशित हुआ था।
समाज सेवा आगे निकल गई
उस समय राजेंद्र माथुर अखबार के संपादक थे। बस मुझे लिखने की ललक लग गई। उस समय में सोशल वर्क भी करता था। लेकिन हुआ यह कि मेरी पत्रकारिता पीछे रह गई और समाज सेवा आगे निकल गई। मैं काम करता गया और मेरा काम आज 140 देशों में पसर चुका है। श्रीलंका, पाकिस्तान, लेटिन अमेरिका, अफ्रीका समेत यूरोप के कई देशों में हमारा शुरू किया गया काम हो रहा है।
समाज की अंतिम पंक्ति के लिए काम
उन्होंने बताया कि उनके मिशन ने समाज के सबसे अंतिम पंक्ति के लोगों के लिए काम किया। आदिवासी और बंजारे वो समाज हैं जिनके पास न तो राशनकार्ड हैं न वोटरकार्ड न बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र। इसलिए किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले पाते। बंजारा स्कूलों के माध्यम से हम बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिले के काबिल बनाते हैं। उसके उनकी पढ़ाई चलती रहती है। आज 14 बंजारा स्कूल चल रहे हैं।
पत्नी ने हमेशा साथ दिया
कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि समाज के लिए काम करते हुए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। पिटाई भी हुई, कई किलोमीटर नंगे पैर चलना पड़ा। लेकिन उनकी पत्नी ने हमेशा उनका साथ दिया। हमने साथ में संघर्ष के दिनों को देखा, जब हम एक छोटे से कमरे में रहते थे, बेटा छोटा था, लेकिन फिर भी हमने अपना काम जारी रखा और आज नतीजा आपके सामने हैं। इसलिए सवाल कीजिए हर उस चीज के बारे में जो गलत है, क्योंकि शब्द से बढ़कर कोई हथियार नहीं है, शब्द ही सवाल
20 पत्रकारों को शब्द ऋषि सम्मान
तीन दिवसीय इस पत्रकारिता महोत्सव में प्रदेशभर के उन 15 पत्रकारों को शब्द ऋषि पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिन्होंने पत्रकारिता के साथ साथ साहित्य और पुस्तक लेखन में भी अपना अहम योगदान दिया है। वहीं पांच पत्रकारों को मरणोपरांत उनके पत्रकारिता में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। आयोजन में मंत्री तुलसीराम सिलावट, प्रवीण कक्कड, विकास दवे, राजेश बादल, राजेंद्र तिवारी और स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल समेत कई गणमान्य नागरिक शामिल थे।