जयपुर। लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों व बसों से 13 लाख से अधिक प्रवासी राजस्थान आए हैं जबकि 6 लाख से अधिक राजस्थान से अपने अपने राज्यों में गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने का यह काम लगभग समाप्त हो गया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) सुबोध अग्रवाल ने कहा कि अब तक विभिन्न राज्यों में फंसे हुए 13.43 लाख प्रवासी बसों तथा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से राजस्थान आए जबकि 6.13 लाख लोग राजस्थान से अपने अपने राज्यों को गए हैं। अंतिम श्रमिक स्पेशल ट्रेन राज्य से एक जून को रवाना हुई थी।
अग्रवाल ने कहा कि हमने श्रमिकों की आवाजाही सुगम हो यह सुनिश्चित किया तथा उनके लिए राहत व मदद की व्यवस्थाएं कीं। प्रवासियों का आना जाना अब लगभग समाप्त हो गया है। हालांकि, हमारे पास अभी भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रवासियों को रखने के लिए 100 शिविर तैयार हैं।
प्रवासियों के आवागमन की निगरानी कर रहे इस अधिकारी के अनुसार शुरू के दिनों में आने व जाने के लिए बड़ी संख्या में श्रमिकों व अन्य प्रवासियों ने पंजीकरण करवाया लेकिन बाद में उन्होंने इसे रद्द कर दिया और अपनी मौजूदा जगहों पर ही रुके रहे।
अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन में ढील तथा नए नियमों के बीच कार्यस्थल और बाजारों के खुलने के साथ राजस्थान पहुंचे अनेक श्रमिक अब वापस अपने अपने कार्यस्थल पर लौटने की सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में, गुजरात के एक कारखाने के मालिक ने बाड़मेर पहुंचे अपने श्रमिकों से संपर्क किया और उन्हें वापस काम पर बुला लिया। उसने श्रमिकों की वापसी के लिए बसों की व्यवस्था की ताकि अपना काम फिर शुरू कर सके। अब पुनर्वापसी शुरू हो रही है। बाहरी राज्यों से प्रवासी राजस्थान के कई जिलों जैसे डूंगरपुर, पाली, सिरोही, जालौर, नागौर, बीकानेर, बाड़मेर अपने गांव घर पहुंचे हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य में प्रवासी श्रमिकों की सबसे अधिक आवक महाराष्ट्र से हुई है जहां वे छोटा मोटा व्यवसाय कर रहे हैं जबकि सूरत में ज्यादा प्रवासी विभिन्न कारखानों में मजदूरी करते हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश से भी प्रवासी आए हैं।
अधिकारियों के अनुसार संकट के इस समय में योजनाबद्ध तरीके से सारी व्यवस्थाएं कर हालात को संभाला गया ताकि श्रमिकों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। (भाषा)