वड़ोदरा स्थित पारूल विश्वविद्यालय में संचालित पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस की ओर से आपीएस एवं उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार द्वारा लिखित पुस्तक 'खाकी में इंसान' पर वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित किया एवं पुस्तक में अपने 20 सालों के वास्तविक कार्य अनुभव के आधार पर 16 कहानियों के माध्यम से मोटिवेशनल, कम्युनिकेशन एवं करियर स्किल्स के टिप्स भी दिए।
वेबीनार में आईपीएस अशोक कुमार ने अपनी पुस्तक की पहली कहानी लीक से हटकर इंसाफ की एक डगर से की एवं उन्होंने सेवक नहीं साहब हैं, हम स्वरचित कविता के माध्यम से वर्तमान समय में सरकारी कारिंदों को जनसेवा में तत्पर रहते हुए हमेशा विनम्रता रखते हुए देश सेवा का आह्वान भी किया।
उन्होंने अपनी पुस्तक की पहली कहानी के माध्यम से कहा कि हर परिस्थिति में निडर रहकर जनता की सेवा करते रहना चाहिए। परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो यदि मन में न्याय दिलाने का जज्बा हो तो सफलता मिल ही जाती है। वहीं सेवक नहीं साहब के माध्यम से उन्होंने अपनी आईपीएस ट्रेनिंग के कुछ पलों को याद किया एवं कहा कि हम कितनी भी उंचाइयों को क्यों न छू लें हमारे पांव हमेशा जमीन पर ही रहने चाहिए।
अशोक कुमार ने खाकी में इंसान पुस्तक की 16 कहानियां लीक से हटकर इंसाफ की एक डगर, चक्रव्यूह, पंच परमेश्वर, भू-माफिया, तराई में आतंक की दस्तक, आतंकवाद की अमानवीय त्रासदी, जेलर जेल में, मौत के साये में जिंदगी, अंधी दौड़, दहेज एवं कानून, वहशीपन, आधी दुनिया की दुविधा, पकड़ का गोरखधंधा, हम नहीं सुधरेंगे एवं पुलिस : मिथक एवं यथार्थ के माध्य में समाज में व्याप्त बुराइयां, पुलिस की कार्यप्रणाली एवं अपराधों पर लगाम लगाने की बात कही।
साथ ही उन्होंने टाइम मैनेजमेंट, लीडरशिप, निडरता, कमजोर की सहायता, प्लानिंग, कठिन परिश्रम, ईमानदारी, विल पॉवर को स्ट्रांग करने एवं विल पॉवर के जरिए सिस्टम में रहते सकारात्मक परिणाम लाने, लक्ष्य की प्राप्ति तक अपने कार्य में लगे रहना, भ्रष्टाचार से मुक्त रहते हुए देश की सेवा करते रहने की बात प्रतिभागियों से कही।
उन्होंने कहा कि खुशी व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार से मिलती है, लेकिन पैसा स्थायी खुशी नहीं दे सकता है। उन्होंने आम आदमी को न्याय दिलाने की पैरवी करते हुए कहा कि हमें चाहे कितना भी परिश्रम करना पड़े, लेकिन हमें आम आदमी को न्याय अवश्य दिलाना चाहिए।
इस पुस्तक के संबंध में डीजीपी कुमार ने कहा कि पुलिस की कमियों को सुधारने एवं समाज को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए एवं पुलिस ही नहीं आम जन को मोटीवेट करने के लिए यह पुस्तक लिखी गई है।
इस अवसर पर पारूल विश्वविद्यालय के के प्रो वोस्ट प्रो. एमएन. पटेल ने डीजीपी कुमार का स्वागत किया एवं पारूल विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही कहा कि आज अपराध एवं बढ़ते साइबर अपराधों के कारण पुलिस की जॉब करना आसान नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों से कुमार की पुस्तक 'खाकी में इंसान' से प्रतिभागियों से लाभ उठाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में पारूल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. एचएस विजयकुमार ने इस अशोक कुमार के व्याख्यान की सराहना की तथा उन्हें धन्यवाद दिया। इस अवसर पर पारूल विवि के डीन, फेकल्टी ऑफ आर्टस प्रो. डॉ. रमेश कुमार रावत ने अतिथि परिचय दिया। उन्होंने कहा कि कुमार की यह पुस्तक सभी का प्रेरणा देने वाली है। यह पुस्तक पाठकों को बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देती है।