जम्मू। प्रदेश प्रशासन जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने के अपने वादे से पीछे हट गया है। अप्रैल में मांग और आपूर्ति में करीब 300 मेगावॉट का अंतर है और प्रशासन ऊंची दर पर बिजली खरीदने को राजी नहीं है। नतीजतन प्रदेश में बिजली कट लगाने की अघोषित घोषणा विभाग कर चुका है। हालांकि स्मार्ट मीटर लगा 24 घंटों बिजली देने के अपने वादे पर वह कुछ नहीं बोल रहा। अप्रैल में यह हाल है तो गर्मी के अगले महीनों में क्या होगा, खुदा ही जानता है।
इतना जरूर था कि बिजली के मोर्चे पर सुधारों का दावा करते हुए उसने बड़े-बड़े विज्ञापन भी दिए हैं जिनके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के सपने को साकार करने के लिए वर्ष 2022 में लगभग 1900 एमवीए ट्रांसमिशन क्षमता में वृद्धि की गई है। इन दावों के अनुसार पिछले साल बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण क्षेत्रों में उपलब्धियों ने जम्मू-कश्मीर के बिजली के बुनियादी ढांचे को बदल दिया है। 31 मार्च 2021 को कुल ट्रांसमिशन क्षमता 9153 एमवीए थी। 1 साल में ट्रांसमिशन में क्षमता 11,016 एमवीए तक पहुंच गई।
घरेलू बिजली आपूर्ति के मोर्चे का सबसे बुरा हाल है। प्रशासन बढ़ती गर्मी को दोष देता है। यह सच है कि मार्च में ही पारा 131 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुका है और प्रशासन मांग व आपूर्ति में सिर्फ अप्रैल में ही 300 मेगावॉट की कमी को पूरा करने की खातिर मार्केट से हाई रेट पर बिजली न खरीदकर बिजली कट की परंपरा को जारी रखना चाहता है। गर्मी के अगले महीनों में क्या हाल होगा, कोई नहीं जानता।
वर्तमान में प्रदेश में 5 से 8 घंटों का बिजली कट लग रहा है। कश्मीर में भी रमजान के अवसर पर सेहरी और इफ्तार भी बिना बिजली के ही हो रहे हैं। बिजली विभाग साफ शब्दों में कह रहा है कि वर्तमान हालत में वह 24 घंटे बिजली आपूर्ति नहीं कर पाएगा, क्योंकि प्रदेश में प्रतिवर्ष 6 हजार करोड़ से अधिक का खर्चा बिजली खरीद पर हो रहा है और वापसी सिर्फ 2000 करोड़ की हो रही है। बिजली के बकाया बिलों की सच्चाई यह है कि इनमें 75 परसेंट सरकारी विभागों की देनदारी है और भुगतना आम जनता को पड़ रहा है।