जम्मू। आने वाले दिनों में यह खबर सच्चाई के रूप में सामने आ सकती है कि अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा और आपका वाहन गुफा से थोड़ी ही दूर खड़ा हो सकता है। इसकी पुष्टि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी एक समाचारपत्र को दिए गए साक्षात्कार में की है।
उपराज्यपाल ने बताया कि इसके लिए इस बार सीमा सड़क संगठन अर्थात बीआरओ को पहले ही अमरनाथ गुफा तक पहुंचने वाले सभी सड़क मार्ग बनाने के लिए कह दिया गया है। जानकारी के लिए सीमा सड़क संगठन जो आसमान के नीचे कहीं भी सड़क मार्ग बनाने में दक्षता हासिल किए हुए है। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर सड़क बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
वार्षिक अमरनाथ की यात्रा पर जाने के लिए अब आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा। यह समाचार सुन उन सभी लोगों की बांछें खिल उठती हैं, जो इस दुर्गम तीर्थस्थल में 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित बर्फीले पहाड़ों में बनी गुफा में बनने वाले स्वयंभू हिमलिंग के दर्शनों से वंचित रहते हैं। हिमलिंग के दर्शनों से वंचित रहने का कारण कोई बड़ा नहीं है बल्कि सड़क का अभाव है और सभी का स्वास्थ्य 29 किमी लंबी दुर्गम पैदल यात्रा करने की अनुमति नहीं देता है।
वैसे अधिकारियों ने बताया कि एक बार सड़क बन जाने के बाद अमरनाथ यात्रा मार्ग पर बैटरी चलित कारों को चलाने की तैयारी भी की जा सकती है। विभागीय अधिकारियों को बैटरी कारों को चलाने की संभावनाएं तलाशने को अभी से कह दिया गया है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड श्रीनगर से गुफा तक हेलीकॉप्टर सेवा को पहले ही आरंभ कर चुका है। जमीनी स्तर पर इन नई व्यवस्थाओं से देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलेगी।
आधिकारियों के अनुसार अमरनाथ गुफा तक जो पहलगाम से 45 किमी दूर तथा बालटाल से मात्र 13 किमी दूर है, पर सड़क का निर्माण स्थानीय लोक निर्माण के वश का काम नहीं है। लेकिन सीमा सड़क संगठन इसको पूरा कर सकता है जिसने इसके लिए कई साल पहले पेशकश भी की थी और अब उसे स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि अधिकतर लोग और अधिकारी अमरनाथ गुफा तक सड़क निर्माण को असंभव मानते हैं, मगर सीमा सड़क संगठन के अधिकारी दावा करते हैं कि वे आसमान के नीचे कहीं भी सड़क मार्ग बनने की क्षमता रखते हैं।
अगर यह सड़क बन जाती है तो मुंबई, कोलकाता आदि के शहरों से भी श्रद्धालु अपने अतिव्यस्त समय में से 3-4 दिनों का समय निकाल अमरनाथ की गुफा में बनने वाले पवित्र हिमलिंग के दर्शन सारा साल कर सकते हैं सिवाय उन महीनों के जब बहुत अधिक बर्फबारी इस मार्ग पर होती है। और यह भी सच है कि अगर अमरनाथ गुफा तक सड़क का निर्माण हो जाता है तो हिमलिंग के दर्शनार्थ आने वालों की संख्या तो बढ़ेगी ही, पिछले 33 सालों से आतंकवाद से जूझ रही कश्मीर घाटी में पर्यटकों की भीड़ भी बढ़ेगी।
सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों द्वारा सड़क निर्माण के लिए दिए गए प्रस्ताव के अनुसार 1 वर्ष के दौरान उनके कर्मी सड़क की कच्ची मिट्टी को काटकर सड़क में बदल देंगे और उसके अगले वर्ष उसे पक्का कर देंगे। वे 2 वर्ष का समय इसलिए मांग रहे हैं, क्योंकि साल में करीब 6 महीने यात्रा मार्ग बर्फ के कारण ढंका रहता है। अर्थात सड़क निर्माण के उपरांत यह ठीक श्रीनगर-लेह मार्ग की तरह ही साल में 6 महीने खुला रहा करेगा और 6 माह बंद।