अल्मोड़ा। उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में रावण परिवार के प्रमुख पात्रों की शोभा यात्रा निकाली गई। रावण परिवार के सभी पुतले देर शाम तक शहर के बाजारों में घुमाए गए और सायंकाल उनका दहन किया गया।
अल्मोड़ा का दशहरा देशभर में काफी प्रसिद्ध माना जाता है। यहां की अलग-अलग मुहल्लों की रामलीलाओं में रावण परिवार के बड़ी संख्या में कलात्मक पुतले बनाए जाते हैं और दशहरे के मौके पर सबको एक शोभायात्रा की शक्ल में शहर भर में घुमाया जाता है।
हालांकि कोरोना काल के कारण इस बार पुतलों की संख्या सीमित कर दी गई थी। पहले यहां 28 से ज्यादा विशालकाय पुतले बनाए जाते थे। इस बार कोरोना के मद्देनजर रावण परिवार के 16 पुतले बनाए गए। स्थानीय कलाकार लंबे समय से इनके निर्माण को लेकर मेहनत करते हैं। पुतलों के निर्माण में इनकी कलात्मकता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
योग और अध्यात्मक की नगरी ऋषिकेश में रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के छोटे पुतले बनाकर गंगा में प्रवाहित किए गए। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गंगा में विसर्जित करने इन्हें ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट लाया गया था।
हर साल की तरह होने वाला रावण दहन का कार्यक्रम त्रिवेणी घाट पर नहीं होने से श्रद्धालुओं में काफी मायूसी दिखी। इस साल कोरोना महामारी के कारण कोरोना गाइडलाइन के अनुसार गंगा समिति द्वारा छोटे पुतले बनाकर बहाए गए।