उत्तरकाशी। उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार नहीं होने संबंधी कथित बयान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के तीर्थ पुरोहितों ने मंगलवार को उनका पुतला फूंका और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की।
उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड को भंग किए जाने की लंबे समय से मांग कर रहे गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने सुबह गंगोत्री धाम व गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा में नारेबाजी करते हुए सतपाल महाराज का पुतला फूंका और मंत्रिमंडल से उनकी बर्खास्तगी की मांग की।
श्री पांच मंदिर समिति गंगोत्री के सह सचिव राजेश सेमवाल ने कहा कि जब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का स्पष्ट कहना है कि बोर्ड पर पुनर्विचार होगा और 51 मंदिर बोर्ड से बाहर होंगे तो उसके बाद स्वयं धर्मगुरु महाराज का यह बयान निंदनीय है। उन्होंने महाराज से अपना बयान वापस लेने को भी कहा। गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर अपने आंदोलन की रणनीति पहले ही बना चुके हैं जिसमें वे 11 जून से काली पट्टी बांधकर गंगा का पूजा-अर्चना कर विरोध जताएंगे और 21 जून से अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर बैठेंगे।
उधर यमुनोत्री मंदिर के पुरोहितों ने भी महाराज के वक्तव्य पर विरोध प्रकट करते हुए उनका पुतला फूंका। यमुना मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल के नेतृत्व में पुरोहितों और ग्रामीणों ने पुतला दहन करते हुए उनके वक्तव्य की कड़ी आलोचना की। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में प्रदेश की भाजपा सरकार ने चार धामों- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित प्रदेश में स्थित 51 प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था जिसका तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध कर रहे हैं। पद संभालने के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सभी हितधारकों से बात करके कोई निर्णय लेने की बात कहते हुए इस संबंध में पुनर्विचार के संकेत दिए थे। (भाषा)