भुवनेश्वर। उड़िया फिल्मों की अदाकारा मणिमाला देवी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार शाम को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 90 वर्ष की थीं।
बुजुर्ग अभिनेत्री को वृद्धावस्था से जुड़ी एवं श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण मार्च में अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्होंने दिन में 02:45 बजे अंतिम सांस ली।
कटक के बालिबीसी गांव में 19 जून 1931 को जन्मीं मणिमाला देवी 1945 में अन्नापूर्णा थिएटर से जुड़ीं और 'जयदेव' नाटक से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने दिवंगत कालीचरण पटनायक और बालकृष्ण दास से प्रेरित होकर गायन भी शुरू किया था और बाद में केलु चरण महापात्रा के निर्देशन में ओडिशी नृत्य सीखा।
अपने लंबे करियर में उन्होंने 50 से अधिक फीचर फिल्मों तथा 100 से अधिक नाटकों में काम किया। उनकी 14 फिल्मों को राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड दिया गया। उन्हें उड़िया फिल्म उद्योग में समृद्ध योगदान के लिए वर्ष 2000 में राज्य के सर्वोच्च सिने अवॉर्ड 'जयदेव पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1960 में 'श्री लोकनाथ' फिल्म से उन्होंने ओडिया फिल्म उद्योग में पदार्पण किया, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति रजत सम्मान भी मिला था। उनकी कुछ फिल्में जैसे 'लक्ष्मी', 'सूर्यमुखी', 'जीवनसाथी', 'अभिनेत्री', 'मालंझा' आदि खूब सराही गईं।
प्रसिद्ध निर्देशक निरद महापात्रा द्वारा निर्देशित उनकी दो फिल्मों को राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक स्थानीय चैनल द्वारा उनकी मौत की गलत खबर चला देने के बाद माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कल ही श्रद्धांजलि दे दी थी। हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट हटा लिया था और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी। (वार्ता)