प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर कथित फर्जी डिग्री के आधार पर पेट्रोल पंप की डीलरशिप लेने और चुनावों के नामांकन के समय झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोपों की जांच के लिए एफआईआर दर्ज कराने की मांग वाली याचिका यहां की स्थानीय अदालत ने शनिवार को खारिज कर दी।
इससे पूर्व, अदालत ने 11 अगस्त को उप मुख्यमंत्री पर लगाए गए उक्त आरोपों की प्रारंभिक जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का कैंट थाना को निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी के वकील उमाशंकर चतुर्वेदी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कराने की याचिका शनिवार को खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने कहा कि वह निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी का आरोप है कि केशव प्रसाद मौर्य ने वर्ष 2007 में शहर पश्चिमी विधानसभा चुनाव और इसके बाद के कई चुनावों में नामांकन के समय दाखिल हलफनामा में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का उल्लेख किया और इन्हीं कागजातों के आधार पर इंडियन आयल से पेट्रोल पंप हासिल किया।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि आरटीआई के तहत इंडियन ऑइल से प्राप्त केशव प्रसाद मौर्य की स्नातक की डिग्री की प्रति में द्वितीय वर्ष का रोल नंबर किसी मंजू सिंह के नाम दर्ज है, जबकि तृतीय वर्ष का रोल नंबर केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर है।(भाषा)