रीवा। राज्य शासन के अभिनव प्रयास के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों को बाल शिक्षा केन्द्रों में परिवर्तित किया जा रहा है। इसी के परिणाम स्वरूप रीवा संभाग में बाल 25 शिक्षा केन्द्रों की शुरुआत की गई। रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने बाल शिक्षा केन्द्र गोरगांव का शुभारंभ करते हुए कहा कि बच्चों की मुस्कान ही राष्ट्र की परमहंस मुस्कान है क्योंकि बच्चे ही राष्ट्र की असली दौलत हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चे ही राष्ट्र के भावी कर्णधार हैं जो बड़े होकर राष्ट्र और समाज के निर्माण में यथेष्ट योगदान देते हैं। कोई भी राष्ट्र प्रगति और विकास की ऊंचाईयों को तभी स्पर्श कर सकता है जब उस देश का बचपन खुशहाल हो, स्वस्थ हो, सुरक्षित हो, शिक्षित हो और उनका बहुमुखी विकास हो।
स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार होगी : कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि हम सबकी यह महती जिम्मेदारी है कि हम बच्चों के समग्र विकास के लिए इस तरह की परिस्थितियां और वातावरण को निर्मित करें जहां हमारे बच्चे बिना किसी भेदभाव के अपने संपूर्ण बाल अधिकारों को प्राप्त कर सकें। प्रत्येक बच्चे को उसके माता-पिता और समाज का भरपूर प्यार और दुलार मिलना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे को निर्भय होकर अपनी बात कहने या अपने विचार रखने की आजादी होनी चाहिए। उसे किसी भी प्रकार की मानसिक यातना, उत्पीड़न, शोषण अथवा शारीरिक दंड नहीं मिलना चाहिए। इस प्रकार यदि बच्चों को खुशनुमा माहौल, वातावरण और पौष्टिक आहार मिलता है तो निश्चित ही हमारे यह बच्चे शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक दृष्टि से मजबूत होंगे, जिससे कुपोषण मिटेगा, बाल मृत्यु दर कम होगी और एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार होगी।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश शासन महिला एवं बाल विकास विभाग बाल कल्याण, बाल विकास एवं बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध और वचनबद्ध है। इसीलिए अब आंगनवाड़ियों को बाल शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है जिससे 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों की शिक्षा के लिए बेहतर वातावरण एवं निर्धारित मापदंडों के प्रति जागरूकता का निर्माण किया जा सके।
सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्रयासत : उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश शासन बच्चों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए लगातार प्रयासरत है। बाल शिक्षा केन्द्रों में बेहतर व्यवस्थाएं उपलब्ध कराकर बच्चों को खेलने एवं पढ़ने के लिए अच्छे वातावरण का निर्माण किया जा रहा है। नर्सरी की कक्षाओं में बच्चों को जो वातावरण और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं वैसी ही सुविधाएं और वातावरण इन बाल शिक्षा केन्द्रों में बच्चों को मिलेगा।
शासन हमारे बच्चों को बेहतर सुविधाएं प्रदान कर रहा है तो हमारा भी फर्ज है कि हम अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और स्वास्थ्य पर ध्यान दें। बच्चों को प्रतिदिन बाल शिक्षा केन्द्र में भेजें। बेटा और बेटी में किसी भी प्रकार भेदभाव नहीं करें और उन्हें आगे बढ़ने के लिए समान अवसर प्रदान करें।
बच्चों के विकास से ही राष्ट्र का विकास संभव : डॉ. भार्गव के अनुसार बच्चे हमारे राष्ट्र की धरोहर हैं इसलिए बच्चों के विकास से ही राष्ट्र का विकास संभव है। बाल शिक्षा केन्द्र में बच्चे चित्रों के माध्यम से जानकारी सीख कर अपना बौद्धिक विकास कर सकेंगे।
बाल शिक्षा केन्द्रों में किशोरी बालिकाओं को स्वास्थ्य के बारे में समझाइश दी जाती है और उन्हें खून की कमी से बचाने के लिए आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं। इसी तरह गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार प्रदान कर उन्हें स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी जाती है। शासन द्वारा प्रदान की जा रही इन सुविधाओं का सभी को लाभ उठाना चाहिए।
एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूरी : उन्होंने कहा कि कहा कि माताएं बच्चों को जन्म देने के बाद उन्हें एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूर कराएं। माँ का गाढ़ा-पीला दूध जो कोलेस्ट्रम कहलाता है उसे अपने बच्चों को जरूर पिलाना चाहिए। बच्चे के जन्म लेने के 6 माह तक उसे केवल स्तनपान कराना चाहिए। स्तनपान कराने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उनमें बीमारियां होने की संभावना कम रहती है।
बेटियों के प्रति सकारात्मक विचार रखें : कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि यदि अभिभावक अपने बच्चों के खानपान एवं स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे तो बच्चे होनहार बनेंगे और आगे चलकर राष्ट्र की बागडोर संभालेंगे। उन्होंने कहा कि लोग महिलाओं और बेटियों के प्रति सकारात्मक विचार रखें और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। कमिश्नर ने बाल शिक्षा केन्द्र में उपस्थित बच्चों को पुस्तकें, बैग, टिफिन और पानी की बोतल प्रदान की। उन्होंने बच्चों के साथ बैठकर बाल शिक्षा केन्द्र में बना भोजन भी किया।
बच्चों के लिए बेहतर व्यवस्था : उल्लेखनीय है कि बाल शिक्षा केन्द्र में पहले की आंगनवाड़ी की अपेक्षा बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल शिक्षा केन्द्र अच्छे ढंग से सजाया संवारा गया है। बाल शिक्षा केन्द्र में चित्रकारी एवं पेंटिंग के द्वारा बच्चों को विभिन्न जानकारी देकर समझाने का प्रयास किया गया है।
बच्चों को खेलने के लिए तरह-तरह के खिलौने, झूला, सोने के लिए पलंग, कपड़े से बनाई गई फल-सब्जियां, दीवारों पर महीनों एवं दिनों के नाम, गिनती, वर्णमाला आदि को प्रदर्शित किया गया है। बच्चों के खेलने एवं पढ़ने के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं।
कार्यक्रम में संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग ऊषा सिंह सोलंकी, जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रतिभा पाण्डेय, परियोजना अधिकारी निर्मला शर्मा, समन्वयक राजीव सिंह उपस्थित थे।