रिश्वत न देने कारण भले ही वो शिक्षक नहीं बन पाए, लेकिन आज वही राज्य के शिक्षामंत्री बनाए गए हैं। भले ही आपको विश्वास न हो, लेकिन यह सच है। कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी की, जो उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में सुनाई।
खबरों के मुताबिक, गोरखपुर में एक कार्यक्रम में शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की कहानी सुनाते हुए उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा, बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने मुझसे 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
उन्होंने कहा कि मुझे बीटीसी परीक्षा पास करने और साक्षात्कार के बाद प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति मिलनी थी। साक्षात्कार देने गए तो तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने बीस हजार रुपए की रिश्वत मांगी। बीएसए ने कहा कि जितने रुपए दोगे उतने नंबर मिलेंगे। मंत्री ने कहा कि अब वह बीएसए सेवा में नहीं हैं। यदि होते तो मैं अब तक उन्हें बर्खास्त कर चुका होता।
डॉ. सतीश ने कहा कि उस समय जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने रिश्वत मांगी तो मैं कुछ नहीं कह सका। किसी तरह से पैसे की व्यवस्था की और एक शिक्षक के माध्यम से रकम भिजवाई गई। शिक्षक ने उन रुपयों को बीएसए को नहीं दिया। इस कारण उन्हें प्राथमिक विद्यालय में नौकरी नहीं मिल पाई। डॉ. द्विवेदी गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।