Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अलगाववादियों के 'पर' कतरने की तैयारी...

हमें फॉलो करें अलगाववादियों के 'पर'  कतरने की तैयारी...
webdunia

सुरेश डुग्गर

, मंगलवार, 6 सितम्बर 2016 (18:24 IST)
श्रीनगर। कश्मीर वादी में हिज्ब कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा का जो तांडव आरंभ हुआ था उसने आज दो माह पूरे कर लिए हैं। इस अरसे में मरने वालों का आंकड़ा ताजा मौत के साथ 75 को पार कर गया है। गैर सरकारी तौर पर 15 हजार से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। इनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि मंगलवार को श्रीनगर से कर्फ्यू को हटाया गया, लेकिन हिंसा ने कश्मीर के कई हिस्सों को अपनी जकड़ में लिए रखा। इस बीच खबर यह आ रही है कि सरकार अब अलगाववादियों के पंख काटने की कवायद में जुट गई है और पहली किस्त में वह उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं को वापस लेने की तैयारी में है।
कश्मीर घाटी के कुछ इलाकों व पुराने श्रीनगर शहर में मंगलवार को 60वें दिन भी कर्फ्यू जैसे हालात जारी रहे। अधिकारियों के मुताबिक घाटी में जारी हिंसक घटनाओं में मरने वालों की संख्या 75 हो गई है। कश्मीर के सोपोर कस्बे के वादूरा इलाके में 4 सितंबर को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल हुए 17 वर्षीय युवक मुसैब मजीद की श्रीनगर के एक अस्पताल में मौत हो गई।
 
मजीद कुपवाड़ा जिले के सोनारवानी जिले का रहने वाला था। मंगलवार को श्रीनगर शहर के 6 पुलिस थाने के इलाकों में कर्फ्यू जैसा प्रतिबंध लगाए गए थे दिया। इसमें नौहट्टा, खानयार, सफाकदल, एमआर गंज, रैनावारी और मैसुमा शामिल है। पुलिस का कहना है कि मंगलवार को घाटी में कहीं भी कर्फ्यू नहीं लगाया गया था। हालांकि जिन स्थानों पर प्रतिबंध लगाया गया था, वहां सुरक्षाबलों द्वारा किसी प्रकार की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जा रही थी।
 
कुपवाड़ा जिले के रहने वाले युवक की मौत के बाद जिले के सभी मोबाइल फोनों का संचालन निलंबित कर दिया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मिलने के प्रस्ताव को अलगाववादियों ने खारिज कर दिया था। इस कारण यहां शांति स्थापित करने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। यहां मंगलवार को 60वें दिन भी जारी बंद के कारण सभी शैक्षणिक संस्थान, प्रमुख बाजार, सार्वजनिक परिवहन व अन्य व्यवसाय ठप पड़े रहे। हालांकि बैंक,सरकारी कार्यालयों व डाकघरों में काम जारी रहा लेकिन कर्मचारियों की संख्या काफी कम  थी।
 
हालांकि हालात में सुधार के बाद पूरे श्रीनगर शहर से कर्फ्यू हटा दिया गया था लेकिन हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के जुलाई में मारे जाने के मद्देनजर हुई हिंसा के बाद से लगातार 60वें दिन जनजीवन अस्त व्यस्त रहा।
 
अधिकारियों ने बताया कि सरकारी कार्यालयों और बैंकों में कर्मचारियों की उपस्थिति में पिछले कुछ दिनों की तुलना में सुधार देखने को मिला। सार्वजनिक वाहन अब भी सड़कों से नदारद रहे। अलगाववादियों ने आठ सितंबर तक बंद जारी रखने का फैसला किया है। उन्होंने साप्ताहिक प्रदर्शन कार्यक्रम के तहत आज महिलाओं के शांतिपूर्ण प्रदर्शन आहूत किए हैं और आज शाम छह बजे से हड़ताल में 12 घंटे की ढील देने की घोषणा की गई है।
 
इस बीच खबर यह आ रही है कि मोदी सरकार अलगाववादियों पर सख्ती करते हुए उनको दी जाने वाली सुविधाएं रोक सकती है। कहा यही जा रहा है कि कश्मीर की आजादी के नाम पर लोगों को भड़काने वाले अलगाववादियों की सुविधाएं बंद हो सकती है। कहा जा रहा है कि सरकार अलगाववादियों को दी जा रही सरकारी सुविधाओं पर रोक लगा सकती है।
 
यह मांग पहले से उठ रही थी लेकिन केन्द्र सरकार अब इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। अलगाववादियों को मिलने वाले हवाई टिकट, कश्मीर से बाहर जाने पर होटल और गाड़ियों जैसी सुविधाएं वापस ली जा सकती है। अलगाववादियों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को भी वापस लिए जाने की मांग उठी है लेकिन इस पर फैसला जम्मू कश्मीर सरकार को लेना है। फिलहाल अलगाववादियों की सुरक्षा में 900 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं।
 
जम्मू कश्मीर सरकार के सूत्रों के मुताबिक अलगाववादियों पर हो रहे खर्च का कुछ हिस्सा केंद्र उठाता रहा है। केन्द्र अब इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। जम्मू कश्मीर सरकार कुल खर्च का करीब 10 फीसदी उठाती है। एक खबर के मुताबिक पिछले पांच सालों में जम्मू कश्मीर सरकार ने अलगाववादियों की सुरक्षा पर 506 करोड़ रुपए खर्च किए। सरकार ने 5 सालों में इन लोगों को होटलों में ठहराने पर ही करीब 21 करोड़ रुपए खर्च किए। इन्हीं खर्चों को देखते हुए अलगाववादियों को दी जा रही सरकारी सुविधाएं बंद किए जाने की मांग हो रही है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पैरालंपिक स्वर्ण विजेता को मिलेंगे 75 लाख रुपए